ब्रिज के लिए दो सांसदों ने लिखा था लेटर, रेलवे ने नहीं दिया ध्यान

Mumbai Prabhadevi Station Stampede Shiv Sena Calls It a Massacre
ब्रिज के लिए दो सांसदों ने लिखा था लेटर, रेलवे ने नहीं दिया ध्यान
ब्रिज के लिए दो सांसदों ने लिखा था लेटर, रेलवे ने नहीं दिया ध्यान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई में शुक्रवार को परेल और एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के बीच बने फुटओवर ब्रिज पर भगदड़ मचने के कारण 22 लोगों की मौत हो गई। जिस ब्रिज पर ये हादसा हुआ उसे चौड़ा करने को लेकर शिवसेना के दो सांसदों ने 2015-16 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को चिट्ठी लिखी थी। लेकिन प्रभु ने फंड का हवाला देते हुए इसे गंभीरता से नहीं लिया। चिट्ठी के मुताबिक प्रभु ने कहा था कि अभी ग्लोबल मार्केट में मंदी है, बाद में देखेंगे। 

दो सांसदों ने लिखी थी चिट्ठी
शिवसेना सांसद राहुल शिवाले ने 23 अप्रैल 2015 को सुरेश प्रभु को पत्र लिखकर फुट ओवरब्रिज को चौड़ा करने की मांग की थी। इसके अलावा पार्टी के शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने भी फरवरी 2016 में प्रभु को चिट्ठी लिखकर मांग को दोहराया था। लेकिन सुरेश प्रभु ने मांग तो जायज बताया लेकिन कहा कि अभी फंड की कमी चल रही है।

सरकार की सफाई- ब्रिज बनाने की मिल चुकी है मंजूरी
मामला बढ़ता देख बाद में केंद्र सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि नए फुटओवर ब्रिज के निर्माण के लिए साल 2016 में ही मंजूरी दे दी गई थी और इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया अभी चल रही है। साथ ही मुंबई के छह अन्य फुट ओवर ब्रिज समेत इस एफओबी के लिए भी इस साल के रेल बजट में मंजूरी दे दी गई थी।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी रेलवे में सिस्टम रिफॉर्म की जरूरत को मानते हुए बताया कि हाल ही में इस एफओबी के लिए रेलवे ने टेंडर नोटिस जारी किया है। इस ब्रिज के निर्माण पर लगभग 12.8 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

कब हुआ हादसा ?
10:30 बजे मुंबई में परेल और एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर भगदड़।

कितने लोगों की मौत अब तक ?
22 लोगों की मौत हो गई अब तक।

कितने लोग घायल बताए जा रहे हैं ?
39 लोगों के घायल होने की सूचना।

कैसे हुआ हादसा ?
बताया जा रहा है कि बारिश के कारण ओवर ब्रिज पर फिसलन थी, रेलिंग का हिस्सा टूटने से हादसा हुआ।

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने क्या किया ?
पीयूष गोयल ने KEM अस्पताल में जाकर घायलों का हालचाल जाना। 

महाराष्ट्र सरकार ने क्या किया ?
महाराष्ट्र सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया गया है।


बीते आठ माह में हुईं 410 मौतें

जनवरी से अगस्त के बीच 410 लोगों की मौत चलती ट्रेन से गिरकर हो चुकी है। यह आंकड़े सिर्फ मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क के हैं। इस अवधि में 931 लोग घायल हुए हैं। ठाणे और डोम्बिवली के बीच हुए हादसों में 47 लोगों की मौत हुई है, जबकि 127 लोग घायल हुए हैं। ठाणे और डोम्बिवली के बीच बीते बुधवार को तीन हादसे हुए। रेल मंत्री ने लगभग दो साल पहले एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था, जिसे ट्रेन में भीड़ पर रिपोर्ट तैयार करनी थी। इसे अधिकारियों ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। 

दुनिया में सबसे खतरनाक है भारतीय रेलवे

बजट की भारी कमी से जूझ रहे भारतीय रेलवे को दुनिया की खतरनाक रेल सेवा माना जाता है। सन 2014 में 27581 लोग विभिन्न रेल हादसों में मारे गए थे। इसका मतलब यह हुआ 530 लोगों की मौत प्रति सप्ताह रेल हादसों में हुई है। जबकि इसी अवधि में अमेरिका में प्रति सप्ताह रेल हादसों में केवल 16 लोगों की मौत हुई है। इस लिहाज से ब्रिटेन में रेल यात्रा ज्यादा सुरक्षित है, जहां एक सप्ताह में केवल सात लोगों की रेल हादसों में जानें गई हैं।

सवाल इस बात का है कि आखिर क्यों हर साल हजारों लोग रेल हादसों में अपनी जानें गवांते हैं। रेल हादसों में मौत की प्रमुख वजहें मुख्यतः ट्रेन का पटरी से उतरना, भीड़ भरे डिब्बों से यात्रियों का नीचे गिरना और सीधे ट्रेन के नीचे आ जाना होती हैं। लगातार बढ़ते आंकड़ों की एक ही वजह है। 

सब्सिडी के बोझ से नवीनीकरण में बाधा

भारतीय रेलवे हर रोज दो करोड़ तीस लाख यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाती है। सरकार का जोर हमेशा रेल किराए की दरें कम रखने पर रहता है, जिसका सीधा असर रेलवे के राजस्व पर पड़ता है। रेलवे हर साल सब्सिडी के रूप में 30 हजार करोड़ रुपए का बोझ उठाता है।

अगर यह राशि सुरक्षा, विकास और शोध आदि के क्षेत्रों में खर्च की जाए, तो भारतीय रेलवे का कायाकल्प किया जा सकता है। लेकिन सरकार राजनीतिक वजहों से किराए में सब्सिडी का दबाव कम नहीं करना चाहती, जिसका खामियाजा हम ऐसे हादसों के रूप में अक्सर चुकाते हैं। 

 

Created On :   29 Sep 2017 12:00 PM GMT

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