RLSP के नेता नागमनी बोले नीतीश कुमार पलटी मार सकते हैं, भरोसे के काबिल नहीं
- एनडीए को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जीत मिलती हैं तो उपेंद्रे कुशवाहा होंगे सीएम।
- एनडीए नीतीश कुमार के चहरे के साथ चुनाव नहीं जीत सकती है: नागमनी
- नागमनी बोले-सीएम नीतीश कुमार फिर से लालू यादव के पास जा सकते हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के घटक दलों की बैठक आज पटना में हुई। बैठक में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमनी ने कहा कि "हम जेडीयू की तुलना में एक बड़ी पार्टी हैं, हमारे पास लोकसभा में तीन सीटें हैं और जेडीयू के पास दो हैं। हम नीतीश कुमार को हमारे नेता के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते हैं, वह फिर से पलट कर सकते हैं और लालू यादव के पास वापस जा सकते हैं, वह भरोसा के काबिल नहीं हैं।
We are a bigger party than JDU, we have three seats in Lok Sabha and JDU has two. We can"t accept Nitish Kumar as our leader, he can make a uturn again and go back to Laluji, can"t trust: Nagmani,Working President of Rashtriya Lok Samta Party(NDA member) #Bihar pic.twitter.com/nHuLcP44US
— ANI (@ANI) June 7, 2018
नागमनी ने कहा कि अगर एनडीए को बिहार में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत मिलती है, उपेंद्र कुशवाह (आरएलएसपी चीफ) मुख्यमंत्री बनेंगे। हम नीतीश कुमार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन आज की परिस्थितियों में एनडीए नीतीश के साथ नहीं जीत सकती है।
If NDA has to win big in Lok Sabha elections and assembly elections in Bihar then Upendra Kushwaha(RLSP Chief) has to be the CM. We are not against Nitish Kumar,but in today"s circumstances NDA can"t win with Nitish as face: Nagmani,Working President of Rashtriya Lok Samta Party pic.twitter.com/jEymUJcVoR
— ANI (@ANI) June 7, 2018
हाल ही में उप-चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद भाजपा बैकफुट पर आ गई है। सहयोगी दलों ने भाजपा की मसीहाई छवि टूटते देख कर अपनी मांगें बढ़ा दी हैं। इससे बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा हो गई है। बिहार में दल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) भाजपा की कमजोर स्थिति देख कर अपने लिए ज्यादा सीटों की मांग करने लगे हैं। अब देखना यह है कि भाजपा अपने सहयोगियों को किस तरह मनाती है।
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जेडीयू 25 सीटों पर अड़ी, एलजेपी ने 7 सीटें मांगी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने अपने लिए 25 लोकसभा सीटों की मांग की है। वर्तमान में उसके पास दो लोकसभा सीटें हैं। एलजीपी प्रदेश अध्यक्ष और नीतीश सरकार में पशु पालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे कम सीटों पर चुनाव लड़ने का कोई सवाल ही नहीं है। वर्तमान लोकसभा में आरएलएसपी के तीन सांसद हैं। स्वाभाविक रूप से वह इससे कम पर समझौता नहीं करेगी। अगर सीटों का बंटवारा विभिन्न सहयोगी दलों की इच्छानुसार किया गया तो बीजेपी के खाते में केवल 5 सीटें ही आएंगी, स्वाभाविक है कि यह स्थिति भाजपा के लिए बेहद असुविधाजनक साबित होगी।
सहयोगियों के बगावती तेवर ने बढ़ाई चिंता
मतलब साफ है कि बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर फॉर्मूला तैयार करना और सहयोगी दलों का समर्थन हासिल करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। इस लिहाज से ये बैठक बताएगी कि एनडीए गठबंधन की दिशा क्या रहने वाली है। एनडीए के नेता भाजपा को लगातार सुझाव दे रहे हैं कि उसे अपने से ज्यादा एनडीए को तरजीह देनी चाहिए। लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने भी प्रकारांतर से अपनी असहमतियां जता दी हैं। आरएलएसपी भी अपनी स्थिति को लेकर मुखर है। बीजेपी के रणनीतिकार नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की हालिया निकटता को भावी गठबंधन के संकेत के रूप में देख रहे हैं। जिससे बीजेपी में बेचैनी पैदा हो गई है। यही वजह है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एनडीए के कुनबे को समेटने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में उन्होंने बुधवार को मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात की थी। हालांकि इसका पॉजिटिव नतीजा नहीं निकला और शिवसेना ने साफ कर दिया कि वो अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
एकजुट विपक्ष के दबाव में बैकफुट पर भाजपा
गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद से एनडीए के घटक दलों ने अपने लिए ज्यादा सुविधाओं की मांग शुरू कर दी है। सहयोगी दलों का मानना है कि बीजेपी के खिलाफ एकजुट हुए विपक्ष के दबाव में अगला आम चुनाव सन 2014 के आम चुनाव जैसा नहीं रहने वाला है। अगले साल होने वाले आम चुनाव में सहयोगी दलों की भी समान भूमिका रहने वाली है। यही वजह है कि उनकी उम्मीदें बहुत बढ़ गई हैं। पहले कर्नाटक और फिर हाल ही में हुए उप-चुनावों मे भाजपा के खराब प्रदर्शन ने सहयोगी दलों के असंतोष को और हवा दी है। इसके बाद जेडीयू, एलजेपी और शिवसेना जिस तरह से मुखर हुए हैं, उससे बीजेपी आलाकमान सकते में आ गया है। यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उन्होंने अपने बिखरते कुनबे को सहेजने के लिए विशेष प्रयास शुरू कर दिए हैं।
Created On :   7 Jun 2018 10:21 AM IST