RSS आतंकी संगठन नहीं, प्रणब मुखर्जी के कार्यक्रम में जाने से क्या दिक्कत- गडकरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आरएसएस के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के शामिल होने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच घमासान शुरू हो गया है। दरअसल आरएसएस ने प्रणब मुखर्जी को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा, जिस उन्होंने स्वीकार कर लिया। अब प्रणब मुखर्जी 7 जून को आरएसएस मुख्यालय में संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, लेकिन इस मामले को लेकर कांग्रेस आपत्ति जता रही है। जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आरएसएस कोई आतंकी संगठन नहीं बल्कि भारत देश का एक सामाजिक संगठन है।
If former President Pranab Mukherjee joins, it is good. What is the problem if the former President visits RSS event. RSS is an organisation of the nation. There should not be any political untouchability in the country: Union Minister Nitin Gadkari pic.twitter.com/8QrilCljWa
— ANI (@ANI) May 29, 2018
मंगलवार को कांग्रेस को करारा जवाब देते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि आरएसएस कोई पाकिस्तानी या आतंकी संगठन नहीं है फिर क्यों इस तरह मामले को उठाया जा रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि लोग तो शारब की दुकान पर जाते हैं, लेडीज बार में भी जाते हैं। ऐसे में अगर पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस के कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे हैं तो इसे कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। गडकरी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा, राजनीति में बड़े दिल से काम होना चाहिए, आरएसएस ISIS नहीं है। वो किसे बुलाना चाहती है किसे नहीं, ये उनका और वहां जाने वाले का अधिकार है।
This isn"t surprising for those who know understand the Sangh, because RSS has always invited prominent people of the society in its programmes. This time, we invited Dr Pranab Mukherjee it"s his greatness that he has accepted our invitation: Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) pic.twitter.com/z9aSy2cOWS
— ANI (@ANI) May 29, 2018
आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति ने उनका आमंत्रण स्वीकार कर लिया है। प्रणब मुखर्जी के कार्यालय के एक अधिकारी ने भी पुष्टि की है कि, वो कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 7 जून को नागपुर जाएंगे और 8 जून को वापस लौटेंगे।
काग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा था कि "प्रणब मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले ही सवाल उठा चुके हैं। अगर संघ अपने कार्यक्रम में उन्हें बुला रहा है तो क्या प्रणब मुखर्जी ने अपनी विचारधारा बदली है या आरएसएस में कोई स्वाभिमान नहीं बचा है।
दरअसल नागपुर के रेशमीबाग क्षेत्र में स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर में 25 दिनों का संघ का तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग चल रहा है। इस प्रशिक्षण शिविर में देश भर के करीब 700 संघ कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं। पिछले सप्ताह रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण कार्यक्रम स्थल पर पहुंच कर संघ के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी से मुलाकात की थी। 7 जून को ये प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा हो जाएगा। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया गया है। जिसे उन्होंने अपनी सहमति भी दे दी है। जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी जाएगी।
हालांकि प्रणब मुखर्जी अपने पूरे राजनीतिक कार्यकाल में कांग्रेस से ही जुड़े रहे हैं। कांग्रेस के शासनकाल के दौरान वो वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री सहित कई पदों पर रहे हैं। वहीं उनके करीबियों का कहना है कि उनके और आरएसएस प्रमुख भागवत के बीच कई सालों से अच्छे संबंध हैं।
इस साल के शुरुआत में मुखर्जी ने प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के प्रारंभ होने के मौके पर संघ के शीर्ष नेताओं को बुलाया था। वहीं प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल के अंत में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने उनसे मुलाकात की थी। तब मुखर्जी ने भागवत को राष्ट्रपति भवन में लंच के लिए आमंत्रित किया था।
नागपुर के आरएसएस सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद प्रणब मुखर्जी और भागवत करीब चार बार एक दूसरे से मिल चुके हैं। इससे पहले 2015 में जब बीजेपी गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया था तब उसके एक दिन बाद ही दोनों के बीच मुलाकात हुई थी। इस दौरान भागवत ने मुखर्जी को संघ की कुछ किताबें भी भेंट की थीं।
Created On :   29 May 2018 3:17 PM IST