जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधि हुई तेज, आकार ले रही सलाहकार परिषद (आईएएनएस विशेष)

Political activity intensifies in Jammu and Kashmir, Advisory Council taking shape (IANS Special)
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधि हुई तेज, आकार ले रही सलाहकार परिषद (आईएएनएस विशेष)
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधि हुई तेज, आकार ले रही सलाहकार परिषद (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में सलाहकार परिषद के गठन की कवायद तेज होने के साथ राजनीतिक गतिविधि भी बढ़ गई है। इस बीच दिल्ली में ऐसे कुछ चुनिंदा लोगों को लेकर मंथन चल रहा है, जिन्हें केंद्र शासित प्रदेश में व्यवस्थित मामलों के लिए सलाहकार परिषद में नियुक्त किए जाने की संभावना है।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नवगठित जम्मू एवं कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख सैयद अल्ताफ बुखारी परिषद के प्रमुख होंगे। हालांकि, अल्ताफ बुखारी के साथ उस्मान मजीद, विजय बकाया, सुनील शर्मा और चौधरी जुल्फिकार अली के नाम भी सामने आए हैं। परिषद का शपथ ग्रहण जून के अंत तक हो जाने की संभावना है।

राजनीतिक हलकों में बड़ा सवाल है कि क्या सलाहकार परिषद के प्रमुख, जो कि वास्तव में एक मंत्रिमंडल है, के पास एक मुख्यमंत्री या एक अलग नामावली हो सकती है और क्या यह केंद्र शासित प्रदेश में चुनावों के बिना किया जा सकता है।

लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचार्य ने जम्मू-कश्मीर में संभावित घटनाक्रम के संदर्भ में आईएएनएस को बताया कि जम्मू एवं कश्मीर का शासन केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की शासन व्यवस्था पर आधारित है।

उन्होंने कहा, केंद्र शासित प्रदेश में सलाहकार परिषद दिन-प्रतिदिन के प्रशासन में उपराज्यपाल की मदद करती है। वास्तविक शक्ति एलजी के पास निहित है। सलाहकार परिषद के प्रमुख को मुख्यमंत्री की शक्ति नहीं मिल सकती है। सलाहकार परिषद कानून भी नहीं बना सकती। संविधान राष्ट्रपति को उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासन की अनुमति देता है, लेकिन केवल संसद के पास ही कानून बनाने की शक्ति है।

आचार्य ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय कोई विधानसभा नहीं है। अगर दिल्ली मॉडल को जम्मू-कश्मीर में लागू किया जाना है, तो संसद को कानून बनाना होगा। केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने के लिए संसद को कानून बनाना होता है।

उन्होंने बताया कि 1992 तक दिल्ली में पहले एक मेट्रोपॉलिटन काउंसिल थी, उसके बाद दिसंबर 1993 में यहां एक कार्यकारी परिषद थी, फिर 37 साल के अंतराल के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।

कुल 10 से 12 सदस्य परिषद का हिस्सा होंगे और इसकी भूमिका मंत्रिमंडल की हो सकती है।

सूत्रों ने यह भी कहा है कि बुखारी फिलहाल दिल्ली में ही हैं और उनके श्रीनगर लौटने की संभावना है। वह पार्टी के सहयोगियों के साथ केंद्र शासित प्रदेश के नए समीकरणों को लेकर विचार-विमर्श शुरू करेंगे।

सूत्रों ने कहा कि पार्टी के कई नेताओं को जिला विकास बोडरें में जिम्मेदारी के साथ ही अर्ध-स्वायत्त निगमों एवं बोडरें में उपाध्यक्ष के पद मिल सकते हैं।

Created On :   26 May 2020 8:30 PM IST

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