शिवसेना ने की मनमोहन की तारीफ, मतवाला बंदर शीर्षक से सरकार के खिलाफ लिखा लेख
- नोटबंदी पर आरबीआई के रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद हर तरफ सरकार की किरकिरी हो रही है।
- शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर तंज कसा है।
- विपक्ष के साथ-साथ अब सहयोगी भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाने लगे हैं।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की है। पार्टी ने "मतवाला बंदर" के नाम से एक लेख लिखकर सरकार की आलोचना भी की है। नोटबंदी पर आरबीआई के रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद हर तरफ सरकार की किरकिरी हो रही है। विपक्ष के साथ-साथ अब सहयोगी भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाने लगे हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर तंज कसा है। शिवसेना ने नोटबंदी पर "मतवाले बंदर" की कहानी के शीर्षक के साथ एख लेख प्रकाशित किया है। इतना ही नहीं लेख में शिवसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी तारीफ की है। शिवसेना ने कहा, "जिनकी समझ में अर्थव्यवस्था नहीं आई, उन्होंने मनमोहन सिंह को मूर्ख ठहराया। आज सच सबके सामने आ चुका है।
शिवसेना ने कहा, "नोटबंदी से देश में अराजकता फैली। प्रधानमंत्री ने देश को बहुत सारे वचन दिए थे। उनका प्रायश्चित करने के लिए अब पीएम क्या करेंगे? शिवसेना ने नोटबंदी को चटपटी लोकप्रियता वाला फैसला बताया। शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि नोटबंदी देश की अर्थव्यवस्था चौपट करने वाला फैसला था, जिसपर रिजर्व बैंक ने भी मुहर लगाई।
सामना में प्रकाशित लेख में कहा गया कि आरबीआई के मुताबिक सिर्फ 10 हजार करोड़ के नोट ही रद्द किए गए। इसका मतलब है कि सरकार पहाड़ खोदकर चूहा भी नहीं निकाल पाई। जिस चूहे को मारने में सरकार ने जनता और अपनी तिजोरी का नुकसान किया, दरअसल वह था ही नहीं। किसान परेशान हुए, लोग बैंकों की कतार में खड़े होकर परेशान हुए, जिसके कारण 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
शिवसेना ने कहा कि देश का इतना बड़ा घाटा करने के बाद भी सत्ता में बैठे लोग विकास का ढोल पीट रहे हैं। नोटबंदी के कारण करीब सवा दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। ये भी एक तरह का भ्रष्टाचार है। आरबीआई के गवर्नर को अदालत में पेश किया जाना चाहिए, क्योंकि वो इस लूट को नहीं रोक पाए। आज के समय में बैंक भी मतवाला बंदर जैसे हो गए हैं। बता दें कि आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी के बाद 99.3 फीसदी नोट फिर से बैंकिंग प्रणाली में लौट आए। रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अर्थशास्त्री, विपक्ष मोदी सरकार से पूछ रहे हैं कि जब सारा पैसा बैंकिंग सिस्टम में लौट आया तो कालाधन कहां है?
Created On :   31 Aug 2018 6:49 AM GMT