बर्फ बनाने की प्रक्रिया में खराब पानी का हो रहा इस्तेमाल, होगी कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बर्फ बनाने की प्रक्रिया में खराब पानी का इस्तेमाल खतरनाक होता है । बर्फ बनाने के लिए बने नियमों की अनदेखी करने वालों पर लगाम कसने की तैयारी खाद्य व आपूर्ति विभाग ने कर ली है। अगले सप्ताह से कार्रवाई की जाएगी। गर्मी में बर्फ को लेकर अन्न व औषधि विभाग काफी गंभीर है। अगले सप्ताह से खाद्य व अखाद्य बर्फ को लेकर कार्रवाई की जाएगी। ग्रीष्म की शुरुआत होते ही शहर में नींबू पानी, गन्ना रस और लस्सी जैसे शीतपेय की दुकानें सजने लगी हैं, जहां रोजाना सैकड़ों लोग पहुंच गला तर करते हैं। पीनेवाले इसी सोच रहे हैं, कि यह शीतपेय उनके स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है, लेकिन असलियत कुछ और ही है। दरअसल, अनेक विक्रेता शीतपेय में इंडस्ट्रियल बर्फ का उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि वह सस्ता है।
रंग परिवर्तन का जिक्र
हाल ही में मुंबई से जारी परिपत्रक में खाने का बर्फ सफेद वही अखाद्य ( इंडस्ट्रियल यूज) बर्फ हल्का नीले रंग का रखने के आदेश जारी किए गए हैं। गत वर्ष अन्न व औषधि विभाग के आयुक्त ने मुंबई में उपरोक्त मुद्दे पर बैठक ली थी। नागपुर एफडीए को मिले दिशा-निर्देश के आधार पर 9 अप्रैल को शहर के सभी बर्फ व्यवसायियों को इसकी जानकारी दी गई।
बर्फ बनाने में पानी का यह है फर्क
शादी-ब्याह में यूज होनेवाला बर्फ साफ प्यूरीफाइड पानी से बनता है। इसे किसी भी शीतपेय में डालकर खाया जा सकता है। इंडस्ट्रियल बर्फ ठंडक बनाए रखने के लिए इस्तेमाल होता है। इन बर्फ को बनानेवाली फैक्टरी को किसी तरह के लाइसेंस आदि की जरूरत नहीं रहती है।
खतरनाक है इसका सेवन
इंडस्ट्रियल बर्फ का सेवन करने से उल्टी, पेट दर्द के अलावा गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं
हमारी ओर से उपरोक्त मुद्दे को लेकर व्यवसायियों से बैठक हुई है। उन्हें बर्फ के रंग को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दी गई है। 10 दिन का समय भी दिया है। आनेवाले 23 अप्रैल से इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
-शशिकांत केकरे, ज्वाइंट कमिश्नर, खाद्य व औषधि विभाग नागपुर
Created On :   19 April 2018 1:09 PM IST