ट्रांसजेंडर्स बिल में हो सकता है बदलाव, विरोध के लिए जंतर-मंतर पर होगा प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद के आने वाले सत्र में बदलाव के मसौदे को पेश करने के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के (अधिकार संरक्षण) विधेयक में नौ संशोधनों को अंतिम रूप दिया है। संसद की स्थायी समिति द्वारा ट्रांसजेंडर्स की परिभाषा को बदले जाने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, केन्द्र "जैविक परीक्षण" से ध्यान केंद्रित करने के लिए एक व्यक्ति की विशेष स्वतंत्रता के लिए लिंग का चयन करने के लिए विधेयक में खंड को बदलने की प्लानिंग कर रहा है।
ओबीसी में शामिल किए जाने की अपील
बता दें इसी शीतकालीन सत्र में लोकसभा में विधेयक पेश करने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र स्थायी समिति की सिफारिशों को अस्वीकार करने के लिए राजी है कि ट्रांसजेन्डर लोगों को आईपीसी की धारा 377 के दायरे से छूट दी गई है। इस समुदाय को ट्रांसजेंडर बिल में अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल किया जाए इसके लिए अपील की गई है। सामाजिक न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने विधेयक की पुष्टि करते हुए कहा कि यह परिभाषा सुप्रीम कोर्ट के नालसा फैसले से दूर रखती है, जिसने ट्रांसजेंडर्स के सशक्तिकरण के लिए एक कानून का रास्ता दिखाया है।
17 दिसंबर को दिल्ली में जंतर-मंतर पर होगा प्रदर्शन
केंद्र ने ट्रांसजेंडर समुदाय को धारा 377 के आवेदन के लिए कमजोर माना है। तेलंगाना राज्य ट्रांसजेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रमूखी ने तेलंगाना बौद्धिक मंचों की बैठक में कहा कि राज्य और केंद्र सरकारें कोई गलती नहीं कर रही है। राज्य के ट्रांसगेंडर और हिजरों ने 17 दिसंबर को दिल्ली में जंतर-मंतर पर इस विधेयक को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयारी की है।
उन्होंने जनजाति के सदस्यों से अपील की है कि प्रस्तावित विरोध के लिए बड़ी संख्या में बाहर निकले, क्योंकि दुनिया भर के ट्रांसगेंडर दिल्ली में एकजुट हो रहे हैं। बता दें कि प्रदर्शन के लिए एसोसिएशन सोना, अर्चना और मोनालिसा के सदस्यों और बौद्धिक मंच के नेता हिमविन्दु विश्वेश्वर राव और अन्य ने भी भाग लिया है।
मुंबई के छात्रों ने भी शुरू किया पोस्टकार्ड अभियान
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) मुंबई के छात्रों ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा विधेयक, 2016 का विरोध करने के लिए एक पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया है। जिसे शीतकालीन सत्र में संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाना है। बता दें कि यह अभियान आगामी बिल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक राष्ट्रीय कॉल का हिस्सा है। टाटा इंस्टीट्यूट के छात्रों ने आंदोलन के लिए समर्थन में 4,000 से अधिक पोस्टकार्ड एकत्र किए हैं जो प्रधान मंत्री के कार्यालय में भेजे जाएंगे।
छात्रों का कहना है कि "यह बिल, सभी मामलों में, ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों का उल्लंघन है। अगर इस तरह के एक प्रतिबोधक विधेयक पारित हो जाते हैं, तो यह आगे इस समुदाय के खिलाफ भेदभाव की ओर अग्रसर होगा।
Created On :   11 Dec 2017 10:22 AM IST