एलएसी पर जारी गतिरोध के बीच लेह में अनिश्चितता, घबराहट का माहौल (लेह से विशेष ग्राउंड रिपोर्ट)
लेह, 18 जून (आईएएनएस)। हम गुरुवार को जैसे ही लेह हवाईअड्डे से बाहर निकले, हमने देखा कि एक शहर में एक अजीब-सा सन्नाटा पसरा हुआ है - बाजार बंद हैं और अधिकतर लोग कोरोनावायरस महामारी के कारण सड़कों पर नहीं दिख रहे हैं।
महामारी के साथ ही लोगों के बीच पनपी एक अनिश्चितता का होना भी लाजिमी है, क्योंकि सभी को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध के बारे में पता है।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के हमले में सोमवार रात 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। उस समय से ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव काफी हद तक बढ़ गया है।
कैब ड्राइवर तानी ने हमें बताया कि यहां स्थिति गंभीर है। तानी ने दबी सी आवाज में कहा, हालात खराब दिख रहे हैं।
लेह शहर से 10 कि. मी. दूर शांति स्तूप के पास, हम कर्नल सोनम वांगचुक से उनके घर पर मिले। वांगचुक कारगिल युद्ध के एक नायक हैं, जिन्होंने 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों को 18,000 फुट की ऊंचाई से पीछे धकेल दिया था।
उनकी बहादुरी के लिए उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया और अब वह सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
वह कहते हैं कि लद्दाख के लोग सेना के साथ खड़े रहते हैं, लेकिन चीन को ऊंची पहाड़ियों से खदेड़ने के लिए युद्ध की जरूरत है।
उन्होंने कहा, लेह के लोग देशभक्त हैं और वह अपने शरीर व आत्मा के साथ सेना के साथ खड़े हैं।
इस बीच, जमीन पर गुस्सा बढ़ रहा है। लद्दाख बौद्ध संघ के अध्यक्ष पी. टी. कुंगजैंग का कहना है कि यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने ऐसा किया है।
उन्होंने कहा, हर साल वे भारतीय क्षेत्र में आते हैं और जमीन पर थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ते जाते हैं। सरकार को एक सख्त संदेश देना चाहिए, जैसा कि पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में हुआ था।
लेह शहर में स्थित नागरिक अस्पताल में शहीद हुए सैनिकों के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद अमर शहीदों का पार्थिव शरीर उनके संबंधित राज्यों में भेजा गया।
लेह में शहीद सैनिकों के शवों पर पुष्पचक्र चढ़ाने का समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान उनके दोस्तों और सहयोगियों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस बीच, भारत और चीन के शीर्ष कमांडर गुरुवार को तनाव की स्थिति को खत्म करने के लिए एक और शीर्ष स्तर की वार्ता कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, बातचीत बहुत आगे तक नहीं बढ़ पाई है, मगर जमीन पर बातचीत के माध्यम जरूर खुले हुए हैं।
Created On :   18 Jun 2020 6:30 PM IST