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उप्र : बसपा के 3 सदस्यों ने नहीं किया विशेष सत्र का बहिष्कार

लखनऊ, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में बहुलाए गए विधानमंडल के विशेष सत्र का बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बहिष्कार किया, लेकिन पार्टी के दो विधायकों और एक विधान परिषद सदस्य ने कार्यवाही में भाग लिया।
सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद श्रावस्ती से विधायक असलम रायनी ने कहा, मैंने सत्तापक्ष के अच्छे कामों की सराहना की है और बताया कि खामियां क्या-क्या हैं। मैंने कहा कि आजम खां पर जो राजनीतिक द्वेष के कारण मुकदमे लगाए गए हैं, उन्हें हटाया जाए। इससे सरकार और पार्टी की बदनामी हो रही है। अल्पसंख्यक बच्चों का अहित हो रहा है।
पार्टी के बहिष्कार के ऐलान के बावजूद कार्यवाही में उनके भाग लेने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह अंतरआत्मा की आवाज पर सदन में गए। उन्होंने कहा, यह ऐतिहासिक क्षण जब इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा तो उसमें मेरा भी नाम होगा। यही सोचकर मैं सदन में हिस्सा लेने पहुंचा।
रायनी ने कहा कि कानून व्यवस्था के मामले में मायावती ही नंबर वन रही हैं। उन्होंने कहा कि बसपा में कांशीराम का जो कैडर कैम्प था, उसे भाजपा ने अपना लिया है। हालांकि उन्होंने भाजपा में शामिल होने की संभावना को नकार दिया।
विधायक ने कहा कि 36 घंटे के ऐतिहासिक सदन का गवाह बनने आया था। आज उन्होंने पार्टी सदस्यता शुल्क घटाकर पांच रुपये करने की सलाह दी है। अभी 50 रुपये लिए जाते हैं, जो कोई स्वेच्छा से नहीं देता। गरीब, किसान बसपा के सदस्य बन सकते हैं। अभी पार्टी को पैसा बड़े नेता देते हैं और अपना कोरम पूरा करते हैं।
उन्नाव की पुरवा सीट से बसपा विधायक अनिल ने पार्टी से बगावत करते हुए कहा, जिस तरह पुत्र को पिता की जरूरत होती है, वैसे ही भारत को नरेंद्र मोदी और यूपी को योगी आदित्यनाथ की जरूरत है। पिछली सरकारों में राजनीति भोग और पैसा कमाने का जरिया था।
बागी विधायक ने विशेष सत्र की कार्यवाही में न केवल बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र और मुख्यमंत्री योगी की जमकर सराहना की।
उन्होंने अपने गरीबी वाले दिनों का जिक्र किया और प्रधानमंत्री को गरीबों का सच्चा हमदर्द बताया। उन्होंने कहा कि उनका संकल्प था कि यदि मोदी नहीं जीतते तो वह भी विधायक पद से इस्तीफा दे देते।
जौनपुर से बसपा के एमएलसी ब्रजेश सिंह प्रिंसू ने भी पार्टी की सख्ती के बावजूद सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया। एमएलसी प्रिंसू ने कहा कि गांधी जी के नाम पर विशेष सत्र बुलाना ऐतिहासिक काम है। बहिष्कार के लिए पार्टी ओर से उन्हें कोई स्पष्ट निर्देश प्राप्त नहीं हुआ था।
-- आईएएनएस
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