पकौड़ा ही नहीं, समोसे पर भी हो चुकी है सियासत

When Pakistan court made a law against samosa price
पकौड़ा ही नहीं, समोसे पर भी हो चुकी है सियासत
पकौड़ा ही नहीं, समोसे पर भी हो चुकी है सियासत

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत में इस वक्त पकौड़े पर सियासत हो रही है। और ये सिसायत शुरू हुई साल के शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू से। इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने एंकर से कहा कि अगर आपके ऑफिस के बाहर कोई पकौड़े बेच रहा है तो आप उसे रोजगार कहेंगे या नहीं। बस फिर क्या था पकौड़ा जो खाने की चीज होती है वो सियासत की चीज बन गई। इसके बाद कई राजनीतिक हस्तियों ने पकौड़े शब्द का इस्तेमाल कर सिसायत शुरू कर दी, लेकिन क्या आपको पता है पकौड़ा पहली चीज नहीं जिस पर सिसायत हुई है। पाकिस्तान में समौसे को लेकर विवाद हुआ था। जिस कारण कोर्ट को कानून भी बनाना पड़ा था।

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समोसे पर पाक में विवाद

दरअसल साल 2009 में पाकिस्तान की प्रांतीय अदालत ने समोसे की कीमत 6 रुपए तय कर दी थी। इस कानून के बाद अगर कोई भी दुकानदार 6 रुपए से ज्यादा का समोसा बेचता था तो उस पर जुर्माना लगा दिया जाता था। इसके बाद पंजाब बेकर्स एंड स्वीट्स फेडरेशन ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। फेडरेशन की ओर से लगाई गई याचिका को लाहौर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद पंजाब बेकर्स एंड स्वीट्स फेडरेशन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आखिरकार 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने ये तय किया कि समोसे की कीमत 6 रुपए से ज्यादा हो सकती है।

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समोसा पाकिस्तान के लिए इमेज परिणाम

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ट्विटर पर उड़ा मजाक

इसके बाद सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर खूब ट्वीट किए गए। पाक घटनाओं पर अपने विचार रखने वाले तारेक फतेह ने अपने विचार रखे। यूजर्स ने इस पूरे मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्‍या अब पाकिस्‍तान की कोर्ट में समोसे को लेकर केस लड़े जाएंगे। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने ट्वीट किया कि  पाकिस्‍तान में क्रिमिनल केसेज होना बंद हो गए हैं इसीलिए कोर्ट को समोसा और चटनी पर बहस करने की जरूरत पड़ रही है।

 


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बिहार में भी हो चुका है समोसा घोटाला

इसी तरह बिहार में साल 2017 में एक समोसा घोटाला हुआ था। बिहार चौसा जिले के एक सरकारी शिविर में बांटे गए समोसे में ये घोटाला हुआ था। दरअसल बाल विकास परियोजना के अंतर्गत परीक्षण केंद्र चलाया जा रहा था। जिसमें आंगनबाड़ी सेविकाओं को 266 रुपए का रोजाना नाश्ता कराया जाना था, लेकिन उन्हें दो समोसे खिलाकर 266 रुपए का बिल बना दिया गया। जब पदाधिकारियों से लेकर लोगों को दो समोसे की कीमत 266 रुपए पता चली तो सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठी जिस पर मामले की जांच की मांग उठी थी। 


साल 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार गरीबों को लुभाने की कोशिश कर रही है। इस तरह के बयानों के चलते वो गरीबों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहती है। शायद वो अपने इन बयानों के चलते वोटरों को रिझा भी ले, लेकिन अब देखना होगा कि ये मुद्दा किस करवट बैठता है। क्या बीजेपी 2019 में अपनी सत्ता बचाने में कामयाब होती है या फिर विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर बीजेपी के वोट काटने में सफल होती है।

 

Created On :   6 Feb 2018 11:03 AM IST

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