शर्मनाक और दर्दनाक: ओडिशा के बलंगा केस में लड़की की मौत, विपक्षी दलों को राजनीतिकरण करने से दूर रहना चाहिए-डिप्टी सीएम कनक वर्धन सिंह देव

- बलंगा में 19 जुलाई को बदमाशों ने एक 15 वर्षीय लड़की को आग के हवाले किया
- बीते दिन दिल्ली एम्स में तोड़ा दम
- सरकार के कदम से परिवार संतुष्ट तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप दुर्भाग्यपूर्ण
डिजिटल डेस्क, भुवनेश्वर। ओडिशा के बलंगा में 19 जुलाई को बदमाशों द्वारा एक 15 वर्षीय लड़की को आग के हवाले करने और कल दिल्ली एम्स में उसकी मौत पर ओडिशा के उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव ने कहा, "मैं उसके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। राज्य सरकार ने सभी आवश्यक कदम उठाए। उसे दिल्ली एम्स भी भेजा गया था, लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए। विपक्षी दलों को ऐसे मामलों का राजनीतिकरण करने से दूर रहना चाहिए।
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष नवीन पटनायक ने 19 जुलाई को पुरी के बलंगा में बदमाशों द्वारा आग लगा दी गई 15 वर्षीय लड़की की मौत पर शोक व्यक्त किया।
सरकार ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं, लेकिन दुर्भाग्य से उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। आमतौर पर ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार सरकार के साथ नहीं खड़ा होता, लेकिन परिवार सरकार के साथ है और वे कह रहे हैं कि सरकार ने जो कदम उठाएं उससे वे संतुष्ट हैं, इसलिए मामले में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप दुर्भाग्यपूर्ण है।
ओडिशा के बलंगा में 19 जुलाई को बदमाशों ने 15 साल की लड़की को आग के हवाले किया
ओडिशा के बलंगा में 19 जुलाई को बदमाशों ने 15 साल की लड़की को आग के हवाले कर दिया और कल उसकी मौत हो गई। नाबालिग लड़की के पिता ने कहा, "मैं किसी पर उंगली नहीं उठाना चाहता। सभी ने मेरी बेटी के लिए प्रार्थना की, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। मैं किसी से नाराज नहीं हूं। मेरी बेटी मेरे भाग्य का हिस्सा नहीं थी। मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे और मेरे परिवार को राजनीति से दूर रखें... जब तक वह हमारे साथ घर पर थी तब तक सब कुछ ठीक था। मुझे नहीं पता कि यह कैसे हुआ।
सरकार ,समाज को संवेदनशील होने की जरूरत
बलंगा में 19 जुलाई को बदमाशों द्वारा आग के हवाले की गई 15 साल की लड़की की मौत पर AAP दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा मुझे लगता है कि सरकारों को महिलाओं के ऐसे संवेदनशील मामलों को लेकर बहुत ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। पिछले कुछ सालों से ऐसा दिख रहा है कि संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है। बहुत जरूरत है कि देश का नागरिक समाज अब इन मामलों पर एक संगठित आवाज उठाए।
Created On :   3 Aug 2025 2:46 PM IST