स्वास्थ्य/चिकित्सा: मां बनने के बाद शुरुआती 45 दिन अहम, परहेज की क्यों दी जाती है सलाह?

मां बनने के बाद शुरुआती 45 दिन अहम, परहेज की क्यों दी जाती है सलाह?
एक महिला के जीवन में मां बनना सबसे सुखद पल होता है लेकिन यह खुशी आसान नहीं होती। डिलीवरी के समय महिला के शरीर को काफी कष्ट झेलना पड़ता है, जिसके चलते शारीरिक और मानसिक रूप से काफी थकान हो जाती है। शरीर में कमजोरी, पीठ दर्द, भूख न लगना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस समय को आयुर्वेद में 'सुतिका काल' कहा गया है। यह डिलीवरी के बाद का लगभग 45 दिनों का समय होता है, जिसमें मां को खास देखभाल की जरूरत होती है। इस दौरान सही खानपान और आराम से महिला का शरीर पहले जैसे हालात में लौट सकता है और वह अपने बच्चे को अच्छे से दूध पिला सकती है।

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। एक महिला के जीवन में मां बनना सबसे सुखद पल होता है लेकिन यह खुशी आसान नहीं होती। डिलीवरी के समय महिला के शरीर को काफी कष्ट झेलना पड़ता है, जिसके चलते शारीरिक और मानसिक रूप से काफी थकान हो जाती है। शरीर में कमजोरी, पीठ दर्द, भूख न लगना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस समय को आयुर्वेद में 'सुतिका काल' कहा गया है। यह डिलीवरी के बाद का लगभग 45 दिनों का समय होता है, जिसमें मां को खास देखभाल की जरूरत होती है। इस दौरान सही खानपान और आराम से महिला का शरीर पहले जैसे हालात में लौट सकता है और वह अपने बच्चे को अच्छे से दूध पिला सकती है।

आयुर्वेद के अनुसार, मां का दूध उस भोजन से बनता है जो वह खाती है। इसलिए इस समय ऐसा खाना देना चाहिए जो पचने में आसान हो और शरीर को ताकत भी दे। पहले 7 दिन तक सुतिका को तरल और हल्का भोजन देना सबसे अच्छा माना जाता है, जैसे चावल या जौ से बनी पतली खिचड़ी, मूंग की दाल, और दलिया, जिसमें घी या तेल ठीक मात्रा में हो। खाने में जीरा, काली मिर्च, सोंठ, और पिप्पली जैसे मसाले मिलाए जाएं ताकि पाचन अच्छा रहे और गैस जैसी समस्याएं न हों।

मां को ताकत देने और दूध बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में कुछ खास लड्डू खाने की सलाह दी गई है। जैसे, मेथी लड्डू और सोंठ लड्डू का सेवन लाभकारी माना गया है। इन लड्डुओं में मेथी, सोंठ, नारियल, अजवाइन, शतावरी, सौंफ, गोंद, खसखस, चंद्रशूर, गुड़ और सूखे मेवे डाले जाते हैं। ये सब चीजें मां के शरीर को फिर से मजबूत बनाती हैं और दूध बढ़ाने में मदद करती हैं।

आयुर्वेद के मुताबिक, मां को रोजाना काली मिर्च और पिप्पली की जड़ मिलाकर दूध पीना चाहिए। इसके अलावा शतावरी चूर्ण या दाने का सेवन भी करना चाहिए। खाने में सहजन को सूप या सब्जी के तौर पर शामिल करना चाहिए। लहसुन और मेथी के दाने और उनकी पत्तियों का प्रयोग भी जरूरी है। चीनी की जगह गुड़, देशी खांड, या पाम शुगर का प्रयोग किया जाना चाहिए।

रोटी के आटे में शतावरी पाउडर मिलाकर रोटियां बनानी चाहिए, जिससे मां को ताकत मिलती है। साथ ही, इस समय मां को किसी भी तरह का तनाव नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे दूध की मात्रा पर असर पड़ सकता है।

इसके अलावा, इस दौरान मसालेदार और बाहर की चीजों से परहेज करना चाहिए।

आयुर्वेद कहता है कि अगर डिलीवरी के बाद मां की सही देखभाल की जाए, तो वह जल्दी स्वस्थ हो सकती है और बच्चे को भी भरपूर दूध मिल सकता है। इसलिए सुतिका काल में खानपान का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

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Created On :   4 Aug 2025 3:38 PM IST

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