मानवीय रुचि: हिरोशिमा दिवस एक गलती मानवता पर सबसे बड़ा जख्म, दुनिया ने जाना 'हिंसा का कोई विजेता नहीं'

हिरोशिमा दिवस  एक गलती मानवता पर सबसे बड़ा जख्म, दुनिया ने जाना हिंसा का कोई विजेता नहीं
जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका के परमाणु हमले ने लाखों जिंदगियां लील ली। वहीं, जो बचे, वे रेडिएशन से प्रभावित हुए। इसे मानवता पर सबसे बड़ा हमला माना गया। दुनिया को युद्ध और परमाणु हमले के इसी दुष्परिणाम की याद दिलाने और शांति एवं अहिंसा का संदेश देने के लिए हर साल 6 अगस्त को 'हिरोशिमा दिवस' मनाया जाता है।

नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका के परमाणु हमले ने लाखों जिंदगियां लील ली। वहीं, जो बचे, वे रेडिएशन से प्रभावित हुए। इसे मानवता पर सबसे बड़ा हमला माना गया। दुनिया को युद्ध और परमाणु हमले के इसी दुष्परिणाम की याद दिलाने और शांति एवं अहिंसा का संदेश देने के लिए हर साल 6 अगस्त को 'हिरोशिमा दिवस' मनाया जाता है।

6 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका ने पहला परमाणु बम 'लिटिल ब्वॉय' गिराया था, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी छीन ली और पूरे शहर को तबाह कर दिया। इस त्रासदी ने विश्व को परमाणु हथियारों की भयावहता से परिचित कराया।

हिरोशिमा पर हुआ हमला मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी घटनाओं में से एक था। सुबह 8:15 बजे गिराए गए इस बम ने कुछ ही पलों में हजारों लोगों की जान ले ली और शहर को मलबे में तब्दील कर दिया। अनुमान है कि इस हमले में लगभग 1,40,000 लोग मारे गए थे, और जो बचे, वे रेडिएशन के दुष्प्रभावों से जूझते रहे।

इस घटना ने न केवल जापान, बल्कि पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि युद्ध और हिंसा का परिणाम कितना भयानक हो सकता है। हिरोशिमा दिवस का महत्व केवल इतिहास को याद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें युद्ध की विभीषिका से बचने की सीख देता है। यह दिन न केवल ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है, बल्कि मानवता को शांति और अहिंसा का संदेश भी देता है। साथ ही, यह हमें शांति, सौहार्द और वैश्विक एकता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

आज के दौर में, जब विश्व में परमाणु हथियारों की होड़ और तनाव बढ़ रहे हैं, हिरोशिमा की घटना हमें यह चेतावनी देती है कि मानवता को बचाने के लिए संवाद और सहयोग ही एकमात्र रास्ता है। इस दिन, हिरोशिमा में शांति स्मारक पर लोग एकत्रित होते हैं, जहां वे मृतकों को श्रद्धांजलि देते हैं और विश्व शांति की कामना करते हैं।

हमें हिरोशिमा से यह सीख लेनी चाहिए कि युद्ध और हिंसा का कोई विजेता नहीं होता। यह दिन हमें पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों और अहिंसा के प्रति जागरूक करता है।

दुनिया में मौजूद भारत जैसे देश, जो अहिंसा और शांति के सिद्धांतों पर आधारित हैं, के लिए हिरोशिमा दिवस एक प्रेरणा है कि हमें वैश्विक मंच पर शांति की वकालत करनी चाहिए। इस दिन सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि ऐसी दुनिया का निर्माण करें, जहां युद्ध और विनाश के लिए कोई जगह न हो, और जहां हर इंसान शांति और सम्मान के साथ जी सके।

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Created On :   5 Aug 2025 5:32 PM IST

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