Pune City News: अमेडिया होल्डिंग्स कंपनी का एक और जमीन घोटाला आया सामने

- बोपोड़ी की सरकारी जमीन बेचने के मामले में तहसीलदार समेत नौ पर मामला दर्ज
- फरवरी-24 से जुलाई-25 तक की गई प्रक्रिया
भास्कर न्यूज, पुणे। मुंढवा जमीन को लेकर हुए घोटाले के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बड़े बेटे पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया होल्डिंग्स का एक और जमीन घोटाला सामने आया है। बोपोड़ी क्षेत्र में सरकार की पांच हेक्टेयर जमीन को अवैध रूप से निजी संपत्ति के रूप में दिखाकर हड़पने के मामले में खड़क पुलिस थाने में तहसीलदार समेत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। प्रकरण 7 नवंबर रात 1.41 बजे दर्ज किया गया।
मामले में नायब तहसीलदार प्रवीणा शशिकांत बोर्डे (50) ने सरकार की ओर से औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तहसीलदार सूर्यकांत येवले, विजन प्रॉपर्टी के कुलमुखत्यार धारक राजेंद्र रामचंद्र विध्वंस (निवासी सकालनगर, बाणेर रोड), ऋषिकेश माधव विध्वंस, मंगल माधव विध्वंस (दोनों पुणे के नवी पेठ निवासी), विद्यानंद अविनाश पुराणिक (निवासी इंदौर, मध्यप्रदेश), जयश्री संजय एकबोटे (निवासी कोलाबा, मुंबई), पुणे के खड़क में रहने वाली शीतल किशनचंद तेजवानी और अमेडिया एंटरप्राइजेस एलएलपी के डायरेक्टर दिग्विजय अमरसिंह पाटिल के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश और सरकारी संपत्ति के गबन के आरोप में मामला दर्ज किया है। कोरेगांव पार्क और बोपोड़ी, दोनों जमीन घोटालों में शीतल और दिग्विजय की भूमिका एक जैसी है। शीतल के पास जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी है, जबकि दिग्विजय पार्थ पवार का ममेरा भाई होने के साथ अमेडिया कंपनी में पार्टनर है। बोपोड़ी जमीन घोटाले को लेकर ही तहसीलदार येवले को सरकार ने गुरुवार को निलंबित भी किया है।
फरवरी-24 से जुलाई-25 तक की गई प्रक्रिया
जांच में सामने आया कि जमीन संबंधी की प्रक्रिया 12 फरवरी-24 से 1 जुलाई-25 के बीच खड़कमाल इलाके के दीवानी न्यायालय में हुई। पुलिस के अनुसार बोपोड़ी की पांच हेक्टेयर से ज्यादा जमीन 1883 से कृषि विभाग के अधिकार क्षेत्र में है और सरकार की संपत्ति है। इसके बावजूद तहसीलदार येवले ने पद का दुरुपयोग करते हुए ‘मुंबई किराएदारी और कृषि भूमि संबंधी अधिनियम, 1948’ का हवाला देकर अवैध आदेश जारी किए, जबकि यह अधिनियम महानगर पालिका क्षेत्र में लागू ही नहीं होता।
शिकायत में कहा गया है कि साजिश के तहत विजन प्रॉपर्टी की ओर से अर्जदार हेमंत गवंडे, उनके प्रतिनिधि राजेंद्र विध्वंस और अन्य आरोपियों ने मिलकर सरकारी जमीन पर निजी स्वामित्व दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए। बाद में सरकार को धोखा देकर जमीन को कब्जे में लेने की कोशिश की। पुलिस ने बताया कि यह सरकारी संपत्ति के गबन और फर्जीवाड़े का मामला है, जिस पर जांच चल रही है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस और राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी घोटाले की गहराई से जांच कर रहे हैं।
इसलिए एफआईआर में नहीं है पार्थ का नाम
इधर, मुंढवा जमीन गड़बड़ी मामले में अजित पवार के बड़े बेटे पार्थ पवार के खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं होने के मामले में प्रशासन और सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं। इस बारे में आधिकारिक सूत्रों ने स्थिति साफ की है। उन्होंने बताया कि जमीन लेन-देन संबंधी दस्तावेजों में पार्थ पवार के नाम का उल्लेख नहीं है, इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। (विस्तृत खबर पुणे फ्रंट पेज पर)
Created On :   8 Nov 2025 5:50 PM IST












