प्राण प्रतिष्ठा निमंत्रण पत्र: अयोध्या में राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के निमंत्रण को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने बीजेपी पर निशाना साधा
- 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह
- राम मंदिर सबकी आस्था का केंद्र- सुको
- धार्मिक स्थल पर जाने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होती
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के निमंत्रण को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। पूर्व सीएम ने कहा, भाजपा ने मुद्दा बनाया तभी तो ये दिक्कत आई है। राम मंदिर सबकी आस्था का केंद्र है, ये सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया तो झगड़ा मिट गया था। सभी देशवासियों ने फैसले का स्वागत किया। सरकार को भी उसी प्रकार का व्यवहार करना चाहिए था। इसका राजनीतिकरण किया गया है। जब राम मंदिर सबका है जो शुरुआत से अगर सभी को साथ लेकर चलते तो ये नौबत नहीं आती। इसे आरएसएस और भाजपा का कार्यक्रम बना दिया गया है। आपको बता दें राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के निमंत्रण को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पहले ही ठुकरा चुकी है।
अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर देश के साथ साथ दुनियाभर की नजर हैं। इस दिन अयोध्या में भव्य और प्रतिष्ठित कार्यक्रम की तैयारियां तेजी से चल रही है। किसे निमंत्रण भेजा जाए और किसे नहीं, इसको लेकर पक्ष- विपक्ष के बीच खूब राजनीति हो रही है।
महाराष्ट्र में एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने अयोध्या राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के निमंत्रण पर कहा, "किसी भी मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा या चर्च में जाने के लिए किसी की भी अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। मुझे निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 22 जनवरी को होने जा रही रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विपक्ष लगातार हमले कर रहे है। कांग्रेस नेताओं की ओर से राम मंदिर उद्घाटन, प्राण प्रतिष्ठा से पहले निकाली जाने वाली यात्रा, और प्रतिष्ठा होने वाली मूर्ति और निमंत्रण पर शुरु से ही निशाना साधा जा रहा है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने राम मंदिर के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह को राजनीतिक बताते हुए उसके धार्मिक विधि विधान को लेकर टिप्पणी की है, उन्होंने कहा, क्या ये कार्यक्रम धार्मिक है? अगर ये कार्यक्रम धार्मिक है तो क्या विधा विधान से कार्यक्रम किया जा रहा है? अगर ये कार्यक्रम धार्मिक है तो क्या चारों पीठों के हमारे शंकराचार्य की सलाह और देख-रेख से इस कार्यक्रम का स्वरूप तय किया जा रहा? चारों शंकराचार्य कह चुके हैं कि एक अधुरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठापन नहीं की जा सकती है। अगर ये कार्यक्रम धार्मिक नहीं है तो ये कार्यक्रम राजनीतिक है।
ये कोई पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी कई कांग्रेस नेता राम मंदिर को लेकर बयानबाजी कर चुके है। मूर्ति को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने अयोध्या राम मंदिर को लेकर कहा है कि जिस राम लला की मूर्ति पर सारा झगड़ा हुआ, वो मूर्ति कहां है? वो मूर्ति स्थापित क्यों नहीं हुई? नई मूर्ति की आवश्यकता क्या पड़ी?
Created On :   13 Jan 2024 10:45 AM IST