सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद हेमंत सोरेन ने अपने सियासी फैसले से चौंकाया, कांग्रेस को लगा झटका

After meeting Sonia Gandhi, Hemant Soren surprised by his political decision, Congress got a setback
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद हेमंत सोरेन ने अपने सियासी फैसले से चौंकाया, कांग्रेस को लगा झटका
झारखंड सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद हेमंत सोरेन ने अपने सियासी फैसले से चौंकाया, कांग्रेस को लगा झटका
हाईलाइट
  • चौंकने की दूसरी वजह है महुआ माजी का नाम

डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड में गठबंधन सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया से मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद सोमवार को चौंकाने वाला सियासी फैसला लिया। यह फैसला था राज्यसभा चुनाव के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से प्रत्याशी के तौर पर महिला नेत्री महुआ माजी के नाम का ऐलान। दो वजहों से यह फैसला अप्रत्याशित माना जा रहा है। पहली वजह यह कि उन्होंने महुआ माजी के नाम की घोषणा झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के साझा प्रत्याशी के बजाय झामुमो प्रत्याशी के तौर पर की। झारखंड में तीन दल मिलकर सरकार चला रहे हैं, इसलिए गठबंधन धर्म के तहत साझा प्रत्याशी की उम्मीद की जा रही थी। चौंकने की दूसरी वजह है महुआ माजी का नाम, क्योंकि ऐलान के पहले उनकी कहीं कोई चर्चा तक नहीं थी।

राज्यसभा की इस सीट पर गठबंधन में साझीदार कांग्रेस ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की थी। इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर और झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के सभी चार मंत्रियों ने बीते दिनों सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी। उनसे कहा गया था कि राज्यसभा के पिछले चुनाव में गठबंधन की ओर से झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन साझा प्रत्याशी थे, इसलिए इस बार रोटेशन के आधार पर कांग्रेस कोटे से साझा प्रत्याशी की दावेदारी बनती है। हेमंत सोरेन से इस मुलाकात के कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि मुख्यमंत्री का रुख सकारात्मक है।

हालांकि बीते 24 मई को राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही झामुमो की ओर से यह बयान आया कि गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण राज्यसभा की सीट पर उसका स्वाभाविक दावा है। 29 मई को झामुमो विधायक दल और प्रमुख नेताओं की बैठक के बाद भी झामुमो ने साफ कहा कि उम्मीदवार उनकी पार्टी का होगा। दोनों दलों की परस्पर दावेदारी का यह मसला सुलझाने के लिए आखिरी पंचायत बीते रविवार को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यहां बैठी। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के साथ उनकी लंबी चर्चा हुई। इस बैठक के बाद हेमंत सोरेन ने मीडिया से कहा कि गठबंधन के प्रत्याशी की घोषणा सोमवार या मंगलवार को रांची में होगी। इस पंचायत के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने संकेत दिया था कि गठबंधन का साझा प्रत्याशी कांग्रेस कोटे का होगा। इसके बाद हेमंत सोरेन सोमवार को रांची आये और अपनी पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा कर दी। उन्होंने बगैर कुछ कहे कांग्रेस की दावेदारी खारिज कर दी। इस घोषणा के थोड़ी देर बाद ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि दिल्ली में दोनों दलों के नेताओं के बीच जो बात हुई थी, यह घोषणा उसके विपरीत है। इसलिए महुआ माजी गठबंधन की नहीं, झामुमो की प्रत्याशी हैं।

झारखंड की सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही है। 82 सदस्यों वाली विधानसभा में झामुमो के 30, कांग्रेस के 17 और राजद का एक विधायक है। सरकार चलाने के लिए 42 का संख्याबल जरूरी है। यानी कांग्रेस के समर्थन के बगैर अकेले झामुमो की सरकार नहीं चल सकती। इस गणित के बावजूद हेमंत सोरेन ने राज्यसभा चुनाव में अकेले चलने का यह फैसला लिया तो सियासी हलके में हर कोई चौंक पड़ा है।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह किक्या हेमंत सोरेन के इस फैसले का असर गठबंधन सरकार पर भी पड़ सकता है? इसपर झारखंड के कई अखबारों में संपादक और झारखंड सरकार में सूचना आयुक्त रहे बैजनाथ मिश्र कहते हैं कि कांग्रेस आज की तारीख में पूरे देश में सियासी तौर पर जितनी कमजोर है, उसे देखते हुए इस बात के आसार कतई नहीं हैं कि वह इस मुद्दे पर गठबंधन तोड़ने जैसा फैसला करेगी। उसके भीतर झारखंड में झामुमो से अलग होकर अपनी राह पर चलने का साहस संभवत: नहीं है। बहुत दिनों बाद वह राज्य में सत्ता की साझीदार है और सत्ता से दूर जाने का जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है। झामुमो के व्यावहारिक प्रमुख हेमंत सोरेन भी कांग्रेस की मजबूरी अच्छी तरह जानते हैं। दूसरी बात यह कि सरकार के साथ-साथ उनपर अपनी पार्टी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी भी है। सब कुछ सोच-समझकर ही हेमंत सोरेन ने यह फैसला लिया है।

झामुमो की ओर से राज्यसभा प्रत्याशी के रूप में जिनकी चर्चा चल रही थी, उनमें हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, उनके भाई बसंत सोरेन की पत्नी हेमलता सोरेन, पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य आदि के नाम प्रमुख थे। वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल कहते हैं कि हेमंत सोरेन ने इन नामों से इतर महुआ माजी के रूप में एक ऐसा नाम चुना, जिसपर पार्टी के भीतर विवाद की कोई गुंजाईश नहीं है। शिक्षा में उच्च डिग्री धारी महुआ माजी हिंदी की जानी-मानी लेखिका हैं। ऐसे में संसद के ऊपरी सदन के लिए उनकी पात्रता पर कोई सवाल नहीं उठ सकता। कल्पना सोरेन और सोरेन परिवार से किसी अन्य को प्रत्याशी बनाये जाने पर आज के हालात में हेमंत सोरेन पर परिवारवाद का आरोप लगता और उनके लिए आज के माहौल में उनके लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती थी। ऐसे में हेमंत सोरेन ने महुआ माजी को झामुमो का प्रत्याशी बनाकर दूर की कौड़ी खेली है।

 

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Created On :   30 May 2022 11:30 PM IST

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