RSS Chief on International Trade: 'अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलेगा, लेकिन...' RSS चीफ मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर रखी अपनी बात

अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलेगा, लेकिन... RSS चीफ मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर रखी अपनी बात
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार दबाव में नहीं होना चाहिए
  • हिंदू राष्ट्र का जीवन मिशन विश्व का करना होता है कल्याण
  • सत्य और प्रेम से दुनिया चलती है एकजुट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत '100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज' के कार्यक्रम मे शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी, इसमें व्यापार, हिंदुत्व और संघ की विचारधारा को लेकर बयान दिया है। भागवत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार होना जरूर होना चाहिए, लेकिन किसी के दबाव में नहीं होना चाहिए। उन्होंने स्वदेशी पर जोर देते हुए कहा कि जो चीजें देश में बनाई जाती है, उनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

आरएसएस चीफ ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर कहा, "अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलेगा, लेकिन इसमें दबाव नहीं होना चाहिए। हम घर में शिकंजी बनाकर पी सकते हैं, कोल्ड ड्रिंक क्यों पीनी है। जो अपने देश में बनता है, उसको देश में बनाना और खाना चाहिए।"

भागवत ने हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर अपनी बता रखते हुए 'सत्य और प्रेम' के दो शब्दों से समझाया है। उन्होंने कहा कि दुनिया एकजुटता पर चलती है। वह कभी भी सौदों या अनुबंधों पर नहीं चल सकती है। उन्होंने आगे कहा कि हिंदू राष्ट्र का जीवन मिशन विश्व का कल्याण करना होता है।

मोहन भागवत ने कहा कि कभी भी किसी स्वयंसेवी संगठन का इतना कड़ा और कटु विरोध नहीं हुआ है, लेकिन संघ का बहुत हुआ है। साल 1925 में संघ की स्थापना करते हुए डॉ. हेडगेवार ने 'संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन' बनाने के लिए कहा था।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हिंदू राष्ट्र का मिशन क्या है? हमारा हिंदुस्तान, इसका मकसद विश्व कल्याण है। विकास के क्रम में दुनिया ने अपने अंदर खोजना बंद कर दिया। अगर हम अपने अंदर खोजें, तो हमें शाश्वत सुख का स्रोत मिलेगा, जो कभी खत्म नहीं होगा। इसे पाना ही मानव जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है और इसी से सभी सुखी होंगे। सभी एक-दूसरे के साथ सद्भाव से रह सकेंगे, विश्व के संघर्ष समाप्त हो जाएंगे। विश्व में शांति और सुख होगा।"

हिंदू समाज पर उन्होंने कहा, "जिसे हिंदू समाज कहते हैं, उसे देश के प्रति जिम्मेदार रहना होगा। संघ के एक पुराने प्रचारक दादा राव परमारथ ने आरएसएस को 'हिंदू राष्ट्र के जीवन मिशन का विकास' बताया था।"

मोहन भागवत ने नए क्षितिज के वर्णन पर कहा, "संघ 100 साल चलने के बाद भी नए क्षितिज का वर्णन क्यों कर रहा है? एक वाक्य में उत्तर देना है, तो प्रार्थना के अंत में हम स्वयंसेवक लोग रोज कहते हैं- भारत माता की जय।"

Created On :   28 Aug 2025 12:24 AM IST

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