मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष पद सौंप कर कांग्रेस की उन राज्यों में पकड़ मजबूत करने की कोशिश जहां बीजेपी भी कमजोर, यूपी पर भी होगी नजर!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, अनुपम तिवारी। कांग्रेस पार्टी को 24 साल बाद गैर गांधी परिवार अध्यक्ष मिल गया है। दक्षिण भारत से आने वाले कांग्रेस के दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को 7897 वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की। खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनते ही सियासत में गरमी बढ़ गई है और बताया जा रहा है कि अब पार्टी के अंदर काफी बदलाव देखने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने दक्षिण भारत से दलित नेता खड़गे को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर बड़ा दांव खेला है। आगामी राज्य विधानसभा चुनाव व 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी दक्षिण भारत के किले को मजूबत करने में जुटी है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ दिन पहले से ही राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा भी दक्षिण भारत से शुरू की और अभी तक एक हजार किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा भी कर चुके हैं।
क्यों है दक्षिण भारत अहम?
कांग्रेस के लिए इस वजह से दक्षिण भारत काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि दक्षिण भारत के पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक से कुल मिलाकर लोकसभा की 129 सीटें आती हैं। अगर केंद्र में सत्ता में वापसी करना है तो इन सीटों पर ध्यान देना जरूरी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी खुद केरल की वायनाड से सांसद है। राहुल गांधी को दक्षिण भारत की ताकत पता है और अपने उस गढ़ को और मजबूत बनाने की कोशिश में है।
राहुल गांधी इसी वजह से भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत 7 सितंबर को कन्याकुमारी से किए थे। कांग्रेस को इतना पता है कि उत्तर भारत की अपेक्षा दक्षिण भारत में उसकी पकड़ मजूबत है। ऐसे में इस वक्त पार्टी दक्षिण भारत पर नजर गड़ाए हुए है। बीजेपी जहां उत्तर भारत में मजबूत है तो वहीं दक्षिण भारत में कमजोर है। दक्षिण भारत के कई राज्यों की विधानसभा में बीजेपी कमजोर है, जबकि कांग्रेस उससे बेहतर हाल में है।
अगर कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में बढ़िया प्रदर्शन करती है और विपक्षी दल एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरते हैं तो फिर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दक्षिण भारत के इन राज्यों में नीचे सारणी को देखकर पता चल रहा है कि बीजेपी की स्थिति काफी खराब है जबकि कांग्रेस की हालत बीजेपी की अपेक्षा ठीक है। अक्सर सियासत में कहा जाता है कि अगर विधानसभा पर मजबूत पकड़ कोई भी पार्टी बना लेती है तो लोकसभा पर परचम लहराना आसान हो जाता है। इस हिसाब से कांग्रेस दक्षिण भारत में काफी मजबूत दिख रही है।
राज्य | कुल विधानसभा सीट | कांग्रेस | बीजेपी |
केरल | 140 | 21 | 0 |
तेलंगाना | 119 | 5 | 2 |
तमिलनाडु | 234 | 18 | 4 |
दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश
कांग्रेस ने दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को नई ऊर्जा देने का प्रयास किया है। मल्लिकार्जुन के अध्यक्ष बनने से जहां राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को फायदा मिल सकता है तो वहीं राज्यों में भी पार्टी को लाभ मिलने की संभावना बताई जा रही है। दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भले ही दक्षिण भारत के रहने वाले हैं लेकिन अन्य राज्यों में दलित वोट बैंक पर भी कांग्रेस को सियासी फायदा मिल सकता है।
खासकर, यूपी में दलित समुदाय का एक बड़ा वोटबैंक है। जहां पर दलित वोट अभी तक मायावती व बीजेपी को जाता रहा है। ऐसे में कांग्रेस के इस सियासी गेम की वजह से बसपा व बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है क्योंकि कहा जाता है कि केंद्र की राह यूपी से होकर गुजरती है। ऐसे में अगर कांग्रेस एक तीर से दो निशाना लगाने में कामयाब रही फिर आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका दे सकती है।
यूपी में इतने फीसदी दलित वोट
अभी तक कांग्रेस में दलित वोटबैंक का अच्छा खासा हिस्सा रहा है लेकिन जैसे-जैसे पार्टी चुनाव हारती गई दलित वोटर्स का साथ छूटता गया। पार्टी अब दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष बनाकर दलित वोट पर दोबारा सेंध लगाना चाह रही है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में दलित वोटर्स चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यूपी की कई सीटों पर इनके वोट ही उम्मीदवारों के जीत व हार तय करते हैं। दलित समुदाय की आबादी प्रदेश में करीब 21 फीसदी है। जो कि जाटव व गैर-जाटव में बंटा हुआ है।
बताया जाता है कि जाटव आबादी 50-55 फीसदी है। मायावती भी इसी समुदाय से आती हैं। 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में 87 फीसदी जाटव ने मायावती को वोट दिया था लेकिन 2022 में घटकर 65 फीसदी हो गया था। ऐसे में बीजेपी ने दलित वोटर्स में सेंधमारी कर मायावती को बड़ा झटका दिया। अब कांग्रेस भी उसी राह पर चल दी है।
राष्ट्रीय स्तर पर खड़गे तो यूपी में खाबरी पर भरोसा
कांग्रेस 2022 विधानसभा में बुरी तरह से हारने के बाद यूपी में बड़ा बदलाव कर राज्य पार्टी अध्यक्ष की कमान अजय कुमार लल्लू से वापस लेकर दलित नेता बृजलाल खाबरी को दी थी। खास बात यह है कि खाबरी बसपा सुप्रीमो मायावती के काफी करीबी माने जाते थे। कांग्रेस ने राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर दोनों ही जगहों पर दलित समुदाय के नेता को बड़ी जिम्मेदारी देकर सियासत में गरमी बड़ा दी है। अब देखना है कि कांग्रेस की सियासी जाल का बीजेपी कैसे जवाब देती है? क्योंकि कांग्रेस जहां दक्षिण भारत में मजबूत है तो वहीं देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में भी दलित वोट बैंक के जरिए पार्टी को मजबूत करने में लगी हुई है।
Created On :   19 Oct 2022 6:29 PM IST