दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछा, 2020 के दंगों से जुड़े भड़काऊ भाषण के मामले क्या सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं?

Delhi High Court asked the police, are the cases of hate speech related to the 2020 riots pending in the Supreme Court?
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछा, 2020 के दंगों से जुड़े भड़काऊ भाषण के मामले क्या सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं?
दिल्ली दंगा 2020 दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछा, 2020 के दंगों से जुड़े भड़काऊ भाषण के मामले क्या सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से यह बताने को कहा कि क्या 2020 के दंगे से जुड़े भड़काऊ भाषणों के मामलों से वह निपट रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने कहा, अगर नफरत भरे भाषण के मामल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं, तो क्या हमारे लिए इसे आगे बढ़ाना उचित होगा?

पीठ दंगों के दौरान कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा नेता कपिल मिश्रा और अन्य नेताओं के खिलाफ एफआईआर की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2021 को हाईकोर्ट से नेताओं के खिलाफ एफआईआर और जांच की मांग करने वाली याचिकाओं में से एक याचिका पर तेजी से, यानी तीन महीने के भीतर फैसला करने को कहा था।

इसके अलावा, अदालत ने याचिकाकर्ताओं में से एक, शेख मुज्तबा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस से ऐसे उदाहरण के बारे में पूछा, जिसमें हाईकोर्ट ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से तथ्यान्वेषी जांच शुरू करवाने का आदेश दिया था।

अदालत ने पूछा, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा किया है, लेकिन क्या हाईकोर्ट ने कभी ऐसा निर्देश दिया है? सुप्रीम कोर्ट के पास अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियां हैं, जिसका प्रयोग हाईकोर्ट नहीं करता है।

कार्यवाही के लंबित होने के बारे में पीठ ने कहा कि जब इन मामलों को पहली बार सूचीबद्ध किया गया था, तो इनमें से कोई भी उस समय पक्षकार नहीं था।

अदालत ने कहा, वह देरी अदालत की वजह से नहीं हुई थी। सिर्फ यही बात है कि कोई पक्षकार नहीं था।

अदालत ने कहा, आज फिर हमें बताया गया है कि हमारे सामने केवल एक ही याचिका है और अब बैच को फिर से क्लब किया गया है। विचार यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इस अव्यवस्था में हम प्लॉट नहीं खोते हैं। हम जानना चाहते हैं कि क्या नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए थे?

13 जुलाई, 2022 को हाईकोर्ट ने ठाकुर, मिश्रा और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और सोनिया गांधी, आप के मनीष सिसोदिया और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी जैसे विभिन्न राजनीतिक नेताओं के बयान को दलीलों में शामिल करने के लिए आवेदन की अनुमति दी थी।

अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 2 फरवरी की तारीख तय की है।

(आईएएनएस)

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Created On :   24 Jan 2023 1:30 PM GMT

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