मोदी सरकार को झटका: कृषि बिल के विरोध में टूटा 22 साल का साथ, हरसिमरत के इस्तीफे के 9 दिन बाद NDA से अलग हुआ अकाली दल

मोदी सरकार को झटका: कृषि बिल के विरोध में टूटा 22 साल का साथ, हरसिमरत के इस्तीफे के 9 दिन बाद NDA से अलग हुआ अकाली दल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किसान बिलों का विरोध करते हुए मोदी सरकार से हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे के 9 दिन बाद शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा को अब एक और झटका दिया है। पार्टी ने किसान बिलों के खिलाफ लड़ाई तेज करते हुए राजग (एनडीए) और भाजपा से 22 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया है। शिरोमणि अकाली दल का यह फैसला इसलिए भी अहम है, क्योंकि साल 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं।

शनिवार को शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक होने के बाद अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा और एनडीए का साथ छोड़ने का फैसला किया है। इससे पहले, बीते 17 सितंबर को शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने तीनों बिलों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। कृषि बिलों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में हो रहा है। यहां किसान पिछले 20 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब के सभी जिलों में किसान सड़क और रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं। कांग्रेस, अकाली दल, आप, लोक इंसाफ पार्टी और बसपा का इनको समर्थन मिल रहा है।


पार्टी कार्यकर्ताओं और किसानों के परामर्श से लिया फैसला
मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए सुखबीर बादल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल शांति के अपने मूल सिद्धांतों, सांप्रदायिक सद्भाव और सामान्य रूप से पंजाब, पंजाबी और विशेष रूप से किसानों और किसानों के हितों की रक्षा करेगा। उन्होंने बताया कि यह निर्णय पंजाब के लोगों, विशेषकर पार्टी कार्यकर्ताओं और किसानों के परामर्श से लिया गया है। बादल ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कृषि विपणन के बिल पहले से ही परेशान किसानों के लिए घातक और विनाशकारी हैं। उन्होंने कहा कि शिअद भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी था, लेकिन सरकार ने किसानों की भावनाओं का सम्मान करने की बात नहीं सुनी।

प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि अकाली दल को पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल और अब राजग छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, क्योंकि भाजपा नेतृत्व वाला गठबंधन किसानों, विपक्ष और अकाली दल के विरोध के बावजूद कृषि बिलों को लाने पर अड़ा हुआ था।

अटल और आडवाणी ने 1998 में की थी एनडीए की स्थापना
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (एनडीए) की स्थापना की थी। उस समय शुरुआती घटकों में प्रकाश सिंह बादल की पार्टी अकाली दल भी एनडीए का सहयोगी बना था। तब से लगातार अकाली दल भाजपा का सहयोगी रहा। लेकिन, कृषि बिल के विरोध में अब जाकर 22 साल बाद अकाली दल ने भाजपा का दामन छोड़ दिया है।

पंजाब में किसान काफी आक्रोशित: वोट बैंक बचाने की फिराक में अकाली दल

  • बताया जा रहा है कि पंजाब में किसान काफी आक्रोशित हैं। शिरोमणि अकाली दल राज्य में एक बड़ा वोट बैंक माने जाने वाले किसानों को नाराज करने के मूड में कतई नहीं है। यही वजह है कि पार्टी ने पहले केंद्रीय मंत्री पद छोड़ा और अब एनडीए गठबंधन से भी अलग होने का फैसला कर लिया।
  • पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। 2017 से पहले अकाली दल की राज्य में लगातार दो बार सरकार रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से अकाली दल को महज 15 सीटें मिली थीं। ऐसे में 2022 के चुनाव से पहले अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता।

इन तीन विधेयकों को लेकर दोनों पार्टियों के बीच विरोध

  • किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक।
  • किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता और कृषि सेवा विधेयक।
  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक।

हरसिमरत कौर ने 17 सितंबर को इस्तीफा दिया था
अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से 17 सितंबर को इस्तीफा दिया था। वे फूड प्रोसेसिंग मिनिस्टर थीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 18 सितंबर को इस्तीफा मंजूर किया था। इसके बाद इस मंत्रालय का प्रभार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपा गया है।

 

Created On :   26 Sep 2020 6:04 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story