टीम की जर्सी पहनी है तो एक्सट्रा खिलाड़ी बनने में भी हर्ज नहीं : रहाणे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ मुझे अंतर्राष्ट्रीय भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया जाता है। फिर जून में मुझे वन-डे में 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभानी पड़ती है। मुझे इसमें कोई समस्या नहीं होती, मैं ऐसा ही व्यक्ति हूं। यह बातें भारतीय टीम के धाकड़ बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ने कही। रहाणे का मानना है कि का जब कोई भारत की जर्सी पहनता है तो उसे अपनी असुरक्षा और अहं को दूर रखना पड़ता है।
रहाणे ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा अगर मैं टेस्ट टीम में उप-कप्तान हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 12वें खिलाड़ी की अपनी भूमिका नहीं निभाऊंगा। जब आप अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं, तो आपको वही करना होता है जो काम आपको सौंपा जाता है। जब मैं चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ड्रिंक्स लेकर जा रहा था तो मुझे अहं से जुड़ी कोई समस्या नहीं थी। मैं ऐसा ही व्यक्ति हूं।
गौरतलब है कि धर्मशाला में आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में रहाणे भारत के कप्तान थे और भारत ने यह टेस्ट जीतकर श्रृंखला अपने नाम की थी। चैंपियंस ट्राफी में हालांकि उन्हें एक भी मैच खेलने को नहीं मिला और उन्हें 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभानी पड़ी।
दायें हाथ के इस बल्लेबाजी ने वेस्टइंडीज में भारत की एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय टीम में सफल वापसी करते हुए पांच मैचों में एक शतक और तीन अर्धशतक की बदौलत 67.20 की औसत से 336 रन बनाए।
रहाणे ने कहा वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला मेरे लिए विशेष थी। जो मैंने निरंतरता दिखाई उसके कारण यह श्रृंखला मेरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय करियर के लिए महत्वपूर्ण थी और लगभग सभी मैचों में रन बनाना संतोषजनक अहसास है। मुझे अपनी बल्लेबाजी के विभिन्न पक्षों को दिखाने का मौका मिला।
रहाणे के अनुसार खेल के तकनीकी पहलुओं में बदलाव से अधिक जरूरी मानसिक बदलाव करना है। वेस्टइंडीज में खेली गई पारियां विशेष थी, क्योंकि वहां की पिच बल्लेबाजी के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं थी और पोर्ट ऑफ स्पेन तथा एंटीगा की पिचों पर काफी परेशानी हो रही थी।
Created On :   14 July 2017 11:38 PM IST