मां का झुमका बना बेटे के लिए आशीर्वाद, मेडल में बदला मां को खोने का दुख

Sumit of Sonipat made history with the Indian hockey team, won the match from Germany.
मां का झुमका बना बेटे के लिए आशीर्वाद, मेडल में बदला मां को खोने का दुख
मां का झुमका बना बेटे के लिए आशीर्वाद, मेडल में बदला मां को खोने का दुख
हाईलाइट
  • पूरा किया दिवंगत मां को किया वादा
  • मां की याद में झुमके को बनाया लॉकेट

डिजिटल डेस्क, हरियाणा।  ओलंपिक में चार दशक से ज्यादा सूखा खत्म करने वाली हॉकी टीम के खिलाड़ी सुमित टीम की इस कामयाबी पर बेहद खुश हैं। सुमित सोनीपत के रहने वाले हैं, उनके घर वाले मजदूरी करके पालन-पोषण करते हैं। इसके बाद भी सुमित ने कभी हिम्मत नहीं हारी ओलंपिक में खेलने का सपना पूरा किया। पिता के साथ दोनो बड़े भाईयों ने भी सुमित का सपना पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की होटल में काम किया ताकि सुमित भारतीय हॉकी टीम में खेले और उनका सपना पूरा करें। 

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद ब्रॉन्ज मेडल जीत कर एक नया मुकाम बना दिया है। जर्मनी से यह मैच जीत कर टीम ने भारतीय हॉकी को फिर से जिंदा कर दिया है। सुमित भारतीय टीम में मिडफील्डर के तौर पर खेलते हैं, टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद से पूरे देश में खुशी की लहर छाई है यही माहौल उनके गांव और परिवार में भी है।

मां का झुमका बना आशीर्वाद

आपको बता दें कि इस बार सुमित अपनी मां के झुमकों से बनी लॉकेट पहन कर टोक्यो ओलंपिक में खेलने गये थे। 6 महीने पहले उनकी मां दुनिया को अलविदा कह गई, उनकी मां का सपना था कि वह ओलंपिक में खेलें और देश के लिए मेडल लाएं। अपनी मां के सपने को सच कर दिखाने के लिए सुमित ने उनके झुमकों से अपने लिए एक लॉकेट बनवाया उसमें अपनी मां की तस्वीर को लगवाया। इसी लॉक्ट को पहनकर सुमित ने ओलंपिक में मैच खेला और भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है। 
भारत के मेडल जीतते ही लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यही हाल सुमित के परिवार और गांव का भी है। आपको बता दें कि सुमित की इस जीत के पीछे काफी संघर्ष छुपा है। सुमित ने जब हॉकी खेलना शुरू किया था तब उनकी उम्र महज 7 साल थी। कांस्य पदक जीतने के पीछे सुमित के साथ उनके परिवार और दोस्तों का भी सहयोग रहा है।

रंग लाया परिवार का साथ

सुमित के पिता प्रताप सिंह का कहना है की उनके बेटे ने इस दिन के लिए काफी संघर्ष का सामना किया है, उसके पीछे पूरे परिवार ने भी काफी मेहनत की है। उसके दोनों बड़े भाइयों ने और उसने होटलों में मजदूरी की है। इसी संघर्ष का नतीजा है भारतीय टीम का यह कांस्य पदक। सुमित के बड़े भाइयों जय सिंह और अमित सिंह का कहना है की इस बार जब वह ओलंपिक में खेलने जा रहे थे तो बोला था की मां उसके साथ है। 

Created On :   5 Aug 2021 12:31 PM GMT

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