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ग्राम भिलवाडिया में हुआ जागरूकता शिविर!
डिजिटल डेस्क | शाजापुर "आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शाजापुर द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, दहेज अधिनियम के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार शिविर लगाकर लोगों को जानकारी देकर जागरूक किया जा रहा है। प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा श्री सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री राजेन्द्र देवड़ा की अध्यक्षता में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन ग्राम भिलवाडिया में आज 22 अक्टूबर को किया गया।
इस मौके पर विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव श्री देवड़ा ने कहा कि महिला अपराध की रोकथाम के लिए कानून की सहायता लेना आपका हक है। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम 2013 ये अधिनियम 09 दिसम्बर 2013 से प्रभाव में आया है। जैसे कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है। इस मौके पर उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी दी और अपराध का विरोध करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि महिला किसी भी तरह की हिंसा सहन नहीं करें, उसका विरोध करें। कानून घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडन निवारण अधिनियम 2013 दहेज प्रतिषेध अधिनियम, महिलाओं का अनैतिकता दुर्व्यवाहर निषेध अधिनियम के बारे में विस्तार से बताकर महिलाओं को अपने अधिकार के प्रति जागरूक किया। शिविर में उपस्थित जिला न्यायालय अंतर्गत बाल न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश श्रीमती शर्मिला बिलवाल द्वारा अपने उद्बोधन में महत्वपूर्ण जानकारी देते बताया कि बाल विवाह व बाल श्रम गंभीर अपराध है, इसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किसी भी तरह की मेहनत मजदूरी या शारीरिक काम लेना अपराध माना जाता है। ऐसा करने वालें को सजा एवं जुर्माना का प्रावधान है।
बाल विवाह निषेध अधिनियम के बारे जानकारी देते हुए बताया कि बाल एक गंभीर अपराध है, लड़कियों के लिए 18 वर्ष एवं लड़को के लिए 21 वर्ष न्यूनतम आयु सीमा विवाह हेतु निर्धारित की गई है। इसके साथ ही आगे उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि दहेज लेना-देना और मांगना कानूनी अपराध है, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के अंतर्गत किसी भी महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करना, भूखा रखना, मारपीट करना, ताने देना, तंग करना, दुर्व्यवहार करना शोषण करना, खर्चा नहीं देना, घर से निकालना, महिला की गरिमा का उल्लंघन करना, अपमान या तिरस्कार करना, गाली देना, आर्थिक दुर्व्यवहार करना, वित्तीय संसाधनों से वंचित रखना इत्यादि घरेलू हिंसा की श्रेणी में आते है, जो कि कानूनी अपराध है।
इसके पश्चात् वन स्टाप सेंटर प्रशासक सुश्री नेहा जायसवाल द्वारा शिविर में उपस्थित महिलाओं को वन स्टाप सेंटर के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओं एवं बालिकाओं पर होने वाले अपराधों के संबंध में वन स्टॉप सेंटर किस प्रकार सहायता एवं आश्रय देता है। अंत में चाईल्ड लाईन की टीम के द्वारा हेल्प लाईन नम्बर 1098 की जानकारी भी दी गई। उक्त शिविर में काफी संख्या में स्थानीय ग्रामीण पुरुष एवं महिलाएं उपस्थित थी।
Created On :   23 Oct 2021 4:51 PM IST