शाजापुर में टिकट बांटने से लेकर मतदाताओं को रिझाने तक हावी रहता है जातिवाद

शाजापुर में टिकट बांटने से लेकर मतदाताओं को रिझाने तक हावी रहता है जातिवाद
  • शाजापुर जिले में तीन विधानसभा सीट
  • कांग्रेस का शाजापुर गढ़
  • दलों में देखने को मिलती है गुटबाजी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में शाजापुर समेत शुजालपुर और कालापीपल तीन विधानसभा सीट आती है। तीनों सीटें सामान्य वर्ग के लिए सुरक्षित है। शाजापुर जिला 1981 की जनगणना के बाद अस्तित्व में आया था। जिले का नाम शाहजहां के नाम पर रखा था, शाहजहां 1640 में यहां आकर रूके थे। इसी के आधार पर इसका नाम शाहजहांपुर पड़ा था, बाद में धीरे धीरे शाजापुर हो गया। शाजापुर मालवा निमाड़ रीजन में आता है। जिले की तीन सीटों में से दो पर कांग्रेस और एक पर बीजेपी का कब्जा है। यहां टिकट बंटवारे से लेकर वोटों को कबाड़ने तक जातिवाद हावी रहता है। वहीं चुनाव के नजदीक आते आते मुद्दे और मसले उछलना शुरू हो जाते है।

शाजापुर विधानसभा सीट

शाजापुर विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, 2013 को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस के हुकुम सिंह कराड़ा यहां से 25 साल से विधायक है। शाजापुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति और मुस्लिम वर्ग के मतदाताओं का दबदबा है। राजपूत, पाटीदार, ब्राह्मण और गुर्जर वोटर्स का भी अच्छा खासा वोट बैंक है, जो चुनाव की नतीजों पर असर डालते है। दोनों प्रमुख दलों में गुटबाजी देखने को मिलती है। शाजापुर में कांग्रेस गुर्जर कार्ड खेलती है तो शुजालपुर में राजपूत। शाजापुर में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ पानी की बहुत बड़ी समस्या है। स्वास्थ्य सुविधाओं की बदतर हालात के चलते मरीजों को दूसरे शहर जाना पड़ता है। शाजापुर में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ पानी की बहुत बड़ी समस्या है। स्वास्थ्य सुविधाओं की बदतर हालात के चलते मरीजों को दूसरे शहर जाना पड़ता है।

2018 में कांग्रेस से हुकुस सिंह कराड़ा

2013 में बीजेपी से अरूण भीमावद

2008 में कांग्रेस से हुकुम सिंह कराडा़

2003 में कांग्रेस से हुकुम सिंह कराडा़

1998 में कांग्रेस से हुकुम सिंह कराडा

1993 में कांग्रेस से हुकुम सिंह कराडा़

1990 में बीजेपी से लक्ष्मी नारायण पटेल

1985 में बीजेपी से पुरूषोतम

1980 में कांग्रेस से तारा ज्योति शर्मा

शुजालपुर विधानसभा सीट

शुजालपुर विधानसभा सीट पर राजपूत, मेवाड़ा और परमार समुदाय का बाहुल्य है। एससी और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका में होते है। लेकिन गुर्जर और पाटीदार समाज के वोटों का गठजोड़ उम्मीदवारों को मुश्किल में डाल देते है। शुजालपुर सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या अधिक है, इसी के कारण यहां मुद्दों की कमी नहीं है। शुजालपुर में पानी की समस्या के साथ साथ बुनियादी सुविधाओं की कमी है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है। बुनियादी सुविधाओं के अलावा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानों को खेती के लिए जरूरी बिजली और पानी की कमी बनी रहती है।

2018 में बीजेपी से इंदर सिंह परमार

2013 में बीजेपी से जसवंत सिंह हाडा

2008 में बीजेपी से जसवंत सिंह हाडा

2003 में बीजेपी से फूल सिंह मेवड़ा

1998 में कांग्रेस केदार सिंह मंडलोई

1993 में बीजेपी से नेमीचंद जैन

1990 में बीजेपी से नेमीचंद जैन

1985 में कांग्रेस से विद्याधर जोशी

1980 में बीजेपी से शैल कुमार शर्मा

कालापीपल विधानसभा सीट

कालापीपल विधानसभा सीट पर खाती,परमार,अनुसूचित जाति,मेवाड़ा, मुस्लिम मतदाता सर्वाधिक है। क्षेत्र तो खाती, परमार और मेवाड़ा मतदाता बाहुल्य है, लेकिन मुस्लिम और एससी वोटर्स का गठजोड़ चुनाव को रोचक मोड़ पर पहुंचा देता है। पूर्व में कालापीपल नगर शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र में आती थी। 2008 में हुए परिसीमन के बाद 188 ग्रामों को जोड़कर कालापीपल विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। 2008 और 2013 में यहां से बीजेपी और 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। पेयजल संकट के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य यहां बदहाल स्थिति में है, किसानों को फसल के उचित दाम न मिलना यहां की प्रमुख समस्या है।

2018 में कांग्रेस से कुणाल चौधरी

2013 में बीजेपी से इंदर सिंह परमार

2008 में बीजेपी से बाबूलाल वर्मा

Created On :   18 Aug 2023 1:51 PM GMT

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