कोरोना के चलते ‘साफ-सुधरी’ हुई फिल्में

Clean movies made due to Corona
कोरोना के चलते ‘साफ-सुधरी’ हुई फिल्में
कोरोना के चलते ‘साफ-सुधरी’ हुई फिल्में

डिजिटल डेस्क, मुंबई । वैश्विक महामारी कोरोना से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। कोरोना संकट के चलते सिनेमा घर आधे साल से अधिक समय तक बंद रहे पर इस दौरान फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्मों के प्रदर्शन के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का काम जारी रहा। लॉकडाउन के कारण फिल्में सिनेमाघरों की बजाय टीवी चैनलों और ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलिज होती रही। इसके चलते गत वर्षों की अपेक्षा कोरोना वर्ष में फिल्में साफ-सुधरी हो गई हैं यानि एडल्ट (केवल वयस्कों के लिए) प्रमाण पत्र वाली फिल्मों की संख्या में भारी कमी आई है। अब तक भोजपुरी में सबसे ज्यादा एडल्ट फिल्में बनती थी पर इस साल इस मामले में मराठी फिल्में अव्वल रही हैं।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानि सेंसर बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2020 से 31 अगस्त 2020 के दौरान कुल 1587 फिल्मों के लिए प्रमाण पत्र जारी किए गए। इनमें सर्वाधिक 446 फिल्में हिंदी, भोजपुरी की 90, अंग्रेजी की 146, मराठी की 77, कन्नड की 125, तमिल की 236, तेलुगु की 214, बंगाली की 65, मलयालम की 89, पंजाबी की 21 व उड़िया की 16 फिल्में शामिल हैं। 2020 में एक नागपुरी व एक संस्कृत भाषा की फिल्म के लिए भी प्रमाण पत्र जारी किया गया। जबकि वर्ष 2019 के 11 महिनों (1 जनवरी 2019 से 1 दिसंबर 2019) में कुल 4674 फिल्मों के लिए प्रमाण पत्र जारी किया गया था।

पिछले कई वर्षों से एडल्ट फिल्मों के मामले में भोजपुरी पहले क्रमांक पर रही है। पर कोरोना के चलते ए प्रमाण पत्र वाली भोजपुरी फिल्मों की संख्या में भी भारी कमी आई है। 2020 में भोजपुरी की 90 फिल्मों में से केवल 7 फिल्में एडल्ट प्रमाण पत्र वाली हैं जबकि 2019 में भोजपुरी की  175 फिल्मों में से 27 एडल्ट प्रमाण पत्र वाली थी। इसी तरह 2020 में हिंदी की 446 फिल्मों में से 15 एडल्ट प्रमाण पत्र वाली हैं जबकि 2019 में हिंदी के ए प्रमाणपत्र वाली फिल्मों की संख्या 77 थी। 2020 में मराठी की 77 फिल्मों में से 6 एडल्ट प्रमाण पत्र वाली फिल्में रही जबकि 2019 में 227 मराठी फिल्मों में से 8 को एडल्ट प्रमाण पत्र जारी किया गया था।

लॉकडाउन से आया बदलाव

लॉकडाउन के चलते सिनेमा घर करीब सात महिनों तक बंद रहे। इस दौरान अपने घरों में कैद लोगों के लिए टेलीविजन ही मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन था। टीवी पर ‘ए’ (एडल्ट) प्रमाण पत्र वाली फिल्में रिलीज नहीं हो सकती। उसके लिए ‘यू’ अथवा ‘यूए’ प्रमाण पत्र की जरुरत होती है। जबकि ‘ए’ प्रमाण पत्र वाली फिल्में केवल थियेटर में रिलीज हो सकती हैं। थियेटर बंद होने से फिल्म वालों के लिए टीवी का ही सहारा था। इस लिए उन्होंने काटछांट के बाद ‘यू’ व ‘यूए’ प्रमाण पत्र लेना ही बेहतर समझा। गौरतलब है कि ओटीटी प्लेटफार्म फिलहाल सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं। वहां बगैर किसी प्रमाण पत्र के कुछ भी दिखाया जा सकता है।
         
भाषा          2020           2019
हिंदी           3.36%         6.02 %
भोजपुरी       7.77 %        15.42%
मराठी         7.79 %        3.52 %

  

Created On :   4 Jan 2021 1:38 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story