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बॉम्बे हाई कोर्ट: आजमी के खिलाफ एफआईआर पर सरकार समेत दो शिकायतकर्ताओं को नोटिस, पीओपी मूर्ति विसर्जन की पॉलिसी बनाने मांगा समय

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने औरंगजेब की प्रशंसा करने के मामले में समाजवादी पार्टी(सपा) विधायक अबू आजमी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर राज्य सरकार समेत दो शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी किया है। अदालत ने 4 सप्ताह में मामले की अगली सुनवाई रखी है। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष अबू आजमी की ओर से वकील मुबीन सोलकर की दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया है कि राजनीतिक द्वेष की भावना से याचिकाकर्ता के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने दोनों एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया। पीठ ने राज्य सरकार समेत दोनों शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी किया। अबू आजमी ने 3 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा में मुगल सम्राट औरंगजेब की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि औरंगजेब एक अच्छा प्रशासक था। उनके शासनकाल के दौरान भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था और देश की जीडीपी 24 फीसदी थी। उनके शासन के दौरान भारत की सीमाएं बर्मा और अफगानिस्तान तक फैली हुई थीं। आजमी के खिलाफ मुंबई मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन और ठाणे पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) की धारा 299 (धार्मिक विश्वासों का जानबूझकर अपमान), 302 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 356 (1) और 356 (2) (मानहानि) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
राज्य सरकार ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के गणपति की मूर्ति के विसर्जन के लिए पॉलिसी बनाने और निर्णय लेने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से मांगा समय
राज्य सरकार ने सोमवार को प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के गणपति की मूर्ति के विसर्जन के लिए पॉलिसी बनाने और निर्णय लेने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से समय मांगा। अदालत ने सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने प्राकृतिक जल निकायों (तालाबों) में पीओपी से बनी गणपति की मूर्तियों विसर्जित पर प्रतिबंध जारी रखा है। हालांकि गणपति की मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर रोक नहीं है। 23 जुलाई के लिए मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ के समक्ष रोहित मनोहर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने पीठ को बताया कि प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के गणपति की मूर्ति के विसर्जन के लिए पॉलिसी बनाने और निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार के संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। इस पर पालिसी बनाने को लेकर विचार किया गया, लेकिन सरकार को निर्णय लेने के लिए 3 सप्ताह का समय चाहिए। अदालत ने सरकार को 23 जुलाई तक का समय दिया है। राज्य सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को पत्र लिखा था, जिसके बाद सीपीसीबी ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीओपी की मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि उन्हें प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जित नहीं किया जा सकता है। इस दौरान डॉ.सराफ ने राज्य सरकार का विसर्जन को लेकर रुख स्पष्ट करने के लिए समय मांगा था। अब सरकार गणपति विसर्जन के लिए पॉलिसी बनाने पर विचार कर रही है। गणपति उत्सव की 27 अगस्त 2025 से शुरू होगी। उससे पहले सरकार को निर्णय लेना होगा। पीठ ने पीओपी की मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों को मूर्तियों को बनाने की अनुमति दे दी थी।
Created On :   30 Jun 2025 9:59 PM IST