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विशाखा कमेटी की अध्यक्ष महिला ही होनी चाहिए : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, अमरावती । कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाव के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार विशाखा कमेटी की स्थापना होनी चाहिए। यह भी स्पष्ट है कि इस समिति की अध्यक्ष एक महिला ही होनी चाहिए। ऐसा होने पर भी एक स्कूल शिक्षिका की शिकायत पर 11 सदस्यों वाली विशाखा कमेटी गठित करके उसकी अध्यक्षता करने वाले अमरावती विभाग के तत्कालीन पुरुष विभागीय आयुक्त को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि इस कमेटी की अध्यक्ष महिला होना इसलिए जरूरी है, ताकि पीड़िता उनसे खुल कर अपनी बात कह सके। इतना ही नहीं, इस कमेटी को यह भी देखना पड़ता है कि कहीं पीड़िता की शिकायत झूठी तो नहीं है।
दस साल झेली प्रताड़ना
हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में यह नजर आ रहा है कि विभागीय आयुक्त ने न केवल याचिकाकर्ताओं को धमकाया, बल्कि सुनवाई के दौरान ही उन पर इस्तीफा देने का दबाव डाला। विभागीय आयुक्त का यह फैसला पूर्वाग्रह से भरा था। इस फैसले के कारण याचिकाकर्ताओं को लगभग एक दशक तक मानसिक तनाव झेलना पड़ा। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने तत्कालीन विशाखा कमेटी के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें कमेटी ने स्कूल के कई शिक्षक-कर्मचारियों को शारीरिक प्रताड़ना का दोषी करार देकर उनकी वेतनवृद्धि स्थाई रूप से रोकने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की वेतनवृद्धि तुरंत बहाल करने का आदेश जारी किया। साथ ही उनका पूरा बकाया भी चुकाने का आदेश दिया गया है।
यह है मामला
याचिकाकर्ता के वकील मोहम्मद अतीक ने हाईकोर्ट में दलील दी कि इस शक्षिका के अपने सहकर्मियों से संबंध अच्छे नहीं थे। वह गाली गलौज व विद्यार्थियों-साथी शिक्षकों के साथ बुरा बर्ताव करती है। ऐसे में स्कूल के शिक्षक-कर्मचारियों और पालक संगठन ने वर्ष 2011 में इस शिक्षिका की नगर परिषद मुख्याधिकारी को अलग-अलग शिकायतें की थी। इसके बाद शिक्षिका के ट्रांसफर का फैसला लिया गया था। इधर, शिक्षिका ने भी नया पैंतरा अपनाया। उसने जिलाधिकारी और फिर विभागीय आयुक्त को शिकायत सौंप कर अपने साथी शिक्षकों-कर्मचारियों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। उसने पहले इसकी शिकायत सौंपी। इसके बाद विभागीय आयुक्त ने विशाखा कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने सभी आरोपी शिक्षक-कर्मचरियों को सुनवाई के लिए बुलाया। इस समिति ने कुछ आरोपियों को दोषी करार देकर उनके हमेशा के लिए वेतनवृद्धि रोकने का आदेश जारी किया, जिसे याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
Created On :   19 July 2022 10:53 AM IST