रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी,-कहा- कड़ा संदेश देना जरूरी

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रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी,-कहा- कड़ा संदेश देना जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संक्रमण के इलाज में आवश्यक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के कई मामले सामने आ रहे हैं। इसमें निजी अस्पतालों के स्टाफ और चिकित्सक तक पकड़े जा रहे हैं। इस समस्या पर न्या. जेड. ए. हक और न्या. अमित बोरकर की नागपुर खंडपीठ ने सू-मोटो फौजदारी जनहित याचिका दायर की है। रेमडेसिविर की कालाबाजारी और प्रशासन की अधूरी कार्रवाई पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि ऐसी विकट स्थिति में कोर्ट महज मूकदर्शक नहीं रह सकता है। कालाबाजारी करने वालों को कड़ा संदेश देना जरूरी है। 

प्रशासन की कार्रवाई नाकाफी है : हाईकोर्ट के अनुसार नागपुर में बड़ी संख्या में कोरोना मरीज हैं, जिनकी अनुपात में रेमडेसिविर बहुत कम है। ऐसे में मेडिकल क्षेत्र से जुड़े कुछ असामाजिक तत्व मौके का फायदा उठा कर रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा इसकी रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदम अधूरे और नाकाफी हैं। ऐसे लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज करके मुकदमा चलाने के बाद भी कालाबाजारी नहीं रुक रही है। ऐसी विकट स्थिति में कोर्ट महज मूकदर्शक नहीं रह सकता। एक कड़ा संदेश देने की जरूरत है। रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़े जाने वालों पर आपराधिक मुकदमा चला कर ठोस निष्कर्ष निकालना चाहिए।

4 मई को होगी सुनवाई : कालाबाजारियों पर चलने वाले मुकदमों का त्वरित निवारण करने की आवश्यकता है। हाईकोर्ट ने मामले में सरकारी वकील तहसीन मिर्जा को नागपुर पुलिस आयुक्त और मनपा आयुक्त से चर्चा करके 3 मई तक विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने को कहा है। मामले में एड. श्रीरंग भंडारकर को न्यायालयीन मित्र बनाया गया है। मामले की सुनवाई 4 मई को रखी गई है।
 

Created On :   30 April 2021 10:13 AM IST

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