किन्नरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का नही है प्रावधान 

There is no provision to give reservation to transgenders in government jobs
किन्नरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का नही है प्रावधान 
सरकारी बिजली कंपनी ने हाईकोर्ट को बताया किन्नरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का नही है प्रावधान 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीसिटी ट्रांसमिशन कंपनी (महापारेषण) ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि संविधान में किन्नर के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है। इसके साथ तृतीयपंथियों  को नौकरी में आरक्षण देने के विषय में सरकार का कोई फैसला भी नहीं है। इसलिए भर्ती प्रक्रिया के दौरान किन्नरों को आरक्षण नहीं प्रदान किया जा सकता है।  पिछले माह कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देश के तहत सार्वजनिक उपक्रम महापारेषण के वरिष्ठ अधिकारी की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि तृतीयपंथी चाहे तो पुरुष अथवा स्त्री किसी भी श्रेणी में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। आरक्षण तभी दिया जा सकता है जब इसके लिए संविधान में प्रावधान हो। आरक्षण प्रदान करना  सरकार के नीतिगत फैसले, संसद व विधायिका के कार्यक्षेत्र में आता है। ऐसे में किन्नर को नौकरी में आरक्षण देना महापारेषण के अधिकार व क्षमता के दायरे में नहीं आता है।

सार्वजनिक उपक्रम की नौकरी में किन्नरों को आरक्षण देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में अधिवक्ता क्रांति एलसी के माध्यम से याचिका दायर की गई है। याचिका के मुताबिक सरकारी बिजली कंपनी महापारेषण ने 170 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। विज्ञापन में नियुक्ति के लिए जातिगत आरक्षण, महिला व दिव्यांगों के लिए आरक्षण का उल्लेख है। लेकिन किन्नरों के आरक्षण को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है। याचिका के मुताबिक किन्नरों को नौकरी में आरक्षण न दिया जाना उनके जीविका अर्जित करने के मौलिक अधिकार का हनन करता है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। इस याचिका के  जवाब में महापारेषण के अधिकारी ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया है।  हलफनामे के मुताबिक साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केंद्र व राज्य सरकार किन्नरों को सामाजिक व शैक्षणिक रुप से पिछड़े वर्ग के नागरिक के रुप में देखें और उन्हें शिक्षा व सरकारी नौकरी में आरक्षण प्रदान करें। इस विषय पर हलफनामे में कहा गया है कि किसी वर्ग के व्यक्ति को सामाजिक व शैक्षणिक रुप से पिछड़ा घोषित करने के लिए संबंधित वर्ग के लोगों का आकड़ा इकट्ठा किया जाना जरुरी है। जिसके आधार पर विधायिका आरक्षण का प्रतिशत तय करने की दिशा में कदम उठाती है। इसलिए जब तक केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किन्नरों की स्थिति को लेकर आकड़े इकट्ठा कर आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जाएगा तब तक महापारेषण अपने यहां निकली भर्ती में किन्नरों को आरक्षण नहीं प्रदान कर सकता है। हाईकोर्ट में 12 अगस्त को इस याचिका पर अगली सुनवाई हो सकती है। 

Created On :   30 July 2022 6:54 PM IST

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