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बगैर तलाक लिए अलग रहने वाली पत्नी है परिवार का हिस्सा, दूसरा विवाह अवैध

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालियां फैसले में यह स्पष्ट किया है कि, पति-पत्नी के अलग होने के लिए दोनों में कानूनन तलाक होना जरूरी है। यदि, बगैर तलाक लिए दोनों अलग रह रहे हों, तो दशकों बाद भी पत्नी को परिवार को हिस्सा माना जाएगा। ऐसे मामलों मे पति का दूसरा विवाह पूरी तरह अवैध है। इस निरीक्षण के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 24 वर्ष तक पति से अलग रहने वाली संगीता (परिवर्तित नाम) को पति के सेवानिवृत्ति लाभ का हकदार माना है। हाईकोर्ट ने नागपुर पारिवारिक न्यायालय का फैसला कायम रखकर पति और दूसरी पत्नी द्वारा दायर अपील खारिज की है।
चरित्र पर शक कर मायके भेजा और दूसरा विवाह किया
दरअसल, संगीता ने पारिवारिक न्यायालय में कुछ वर्ष पूर्व यह मुकदमा दायर किया कि, उसका पति दीपक (परिवर्तित नाम) वायुसेना में बतौर चौकीदार कार्यरत था। जुलाई 1979 को दोनों का हिंदू रीति-रिवाज से विवाह हुआ था। इस विवाह से दोनों को तीन बेटे हुए। संगीता का आरोप है कि, उसका पति उसके चरित्र पर शक करता था। उससे पैसे मांगता था, उसे पीटता था। एक दिन दीपक ने संगीता पर मिट्टी का तेल डाल कर उसे डराया-धमकाया और मायके भेज दिया। इसके बाद पति ने दूसरा विवाह कर लिया, जो कानूनन अवैध था।
नियमानुसार संगीता और दीपक का तलाक नहीं हुआ, लेकिन इसके बावजूद वर्ष 1995 में दीपक ने वायुसेना के दस्तावेजों में संगीता का नाम काटकर दूसरी पत्नी का नाम चढ़ा लिया। उसने कारण बताया कि, संगीता बीते अनेक वर्षों से गुम है। कमांडिंग ऑफिसर ने भी दस्तावेजों में यह बदलाव कर लिया। वर्ष 2013 में दीपक सेवानिवृत्त हो गया। ऐसे में अरुणा ने पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर की। जिसमें उसने प्रार्थना की कि, दीपक का दूसरा विवाह अवैध करार दिया जाए, वायुसेना के दस्तावेज में उसका नाम दोबारा शामिल करके पति के सेवानिवृत्ति लाभ का उसे हिस्सेदार बनाया जाए। पारिवारिक न्यायालय ने अरुणा की प्रार्थना मंजूर करके वायुसेना को ऐसे ही आदेश दिए। जिसके खिलाफ दीपक और उसकी दूसरी पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।
पति का पक्ष
इस प्रकरण में दीपक ने कोर्ट को ठीक उलट कहानी सुनाई। उसके अनुसार संगीता का चरित्र ठीक नहीं था। विवाह के दस साल बाद फरवरी 1989 में संगीता एक 19 वर्षीय युवक के साथ भाग गई थी। चूंकि, दीपक चौकीदारी का काम करता था, रात को बच्चों की देखभाल के लिए उसे मजबूरन दूसरा विवाह करना पड़ा। उसने वर्ष 1989 में ही संगीता के गुम होने की सदर पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी।
यह है हाईकोर्ट का निरीक्षण
प्रकरण में हाईकोर्ट ने माना कि, सिर्फ कानूनी तरीके से ब्याही गई पत्नी ही "परिवार" की परिभाषा में फिट बैठती है। सिर्फ कानूनी रूप से लिया गया तलाक ही उसे परिवार से अलग कर सकता है। इस प्रकरण में दीपक कहीं भी साबित नहीं कर पाया कि, उसने कानूनन संगीता से तलाक लिया था। न ही संगीता के चरित्रहीन होने की बात सिद्ध हो सकी है। ऐसे में पारिवारिक न्यायालय का फैसला सही है। पहली पत्नी ही दीपक के सेवानिवृत्ति लाभ में हकदार है।
Created On :   21 Dec 2020 1:02 PM IST