नर्मदापुरम में स्थानीय और बाहरी के साथ चलता है नर्मदा की सुरक्षा और जातियों का जोड़- तोड़

नर्मदापुरम में स्थानीय और बाहरी के साथ चलता है नर्मदा की सुरक्षा और जातियों का जोड़- तोड़
  • बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस का प्रयास
  • चारों सीटों पर बीजेपी का कब्जा
  • कांग्रेस की कोशिश, बीजेपी की मजबूती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नर्मदापुरम जिले में चार विधानसभा सीट सिवनी मालवा,होशंगाबाद, सोहागपुर,पिपरिया शामिल है। नर्मदापुरम को पहले होशंगाबाद के नाम से जाना जाता था। नर्मदा नदी से सटे होने के कारण यहां के चुनावी मुद्दों में रेत का अवैध उत्खनन हमेशा छााया रहता है। यहां की राजनीति में पहला मुद्दा नर्मदा नदी की सुरक्षा और दूसरा जातियां का समीकरण होता है। दोनों के इर्द गिर्द राजनीति घूमती रहती है। जनगणना 2001 के मुताबिक क्षेत्र में करीब 16.13 अनुसूचित जाति व 13.17 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति एवं 44 फीसदी पिछड़ा वर्ग हैं।

जातियों की बात की जाए तो लोधी-कुर्मी -लोवंशी यहां निर्णायक भूमिका में है। इनकी तादाद 12 फीसदी और मुस्लिम 7 फीसदी है। यहां स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी का चेहरा चुनाव में काफी मायने रखता है। जाति समीकरण बनते बिगड़ते रहते है। हालफिलहाल जिले की चारों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। कांग्रेस यहां विजय होने के प्रयास की कोशिश में लगी हुई है।

होशंगाबाद

होशंगाबाद सीट पर पिछले चार विधानसभा चुनाव से बीजेपी जीतती आ रही है। बीजेपी के अभेद किले में शामिल होशंगाबाद पर कांग्रेस के लिए आसान राह नहीं है।

2018 में बीजेपी के सीताशरण शर्मा

2013 में बीजेपी के सीताशरण शर्मा

2008 में बीजेपी से गिरजा शंकर शर्मा

2003 में बीजेपी के मधुकर हरणे

1998 में कांग्रेस के सविता दीवान

सिवनी मालवा

पिछले तीन विधानसभा चुनाव में सिवनी मालवा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इससे पहले सीट लगातार तीन बार कांग्रेस के जीतने का रिकॉर्ड है। एक छोटा सा विकासशील शहर सिवनी मालवा अपने पारंपरिक मूल्यों के साथ-साथ एक शांतिपूर्ण शहर की जीवनशैली का प्रतीक है। इसे अपनी जीवनशैली गाँवों और आसपास के शहरों से विरासत में मिलती है। नाइटलाइफ़ अवधारणा अभी तक यहां तक ​​नहीं पहुंची है और सामाजिक प्रभुत्व अभी भी कायम है।

सिवनी मालवा सर्वोत्तम कृषि भूमियों में से एक है। जिले में सर्वाधिक आबादी किसानों की है। एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट सिवनी मालवा में हैं,जो अब निष्क्रिय हो चुका है

2018 में बीजेपी के प्रेमशंकर शर्मा

2013 में बीजेपी के सरताज सिंह

2008 में बीजेपी के सरताज सिंह

2003 में कांग्रेस के हजारीलाल रघुवंशी

1998 में कांग्रेस के हजारीलाल रघुवंशी

1993 में कांग्रेस के मायाराम नेगी

1990 में बीजेपी के हरिदास भारद्वाज

1985 में कांग्रेस के ओमप्रकाश रघुवंशी

1980 में कांग्रेस के कुमार भाटिया

1977 में कांग्रेस के हजारीलाल रघुवंशी

सोहागपुर

सोहागपुर विधानसभा सीट पर 2003 से लेकर 2018 तक बीजेपी का कब्जा रहा है। सोहागपुर सीट ब्राह्मण और गुर्जर मतदाता बाहुल्य है।

2018 में बीजेपी के विजयपाल सिंह

2013 में बीजेपी के विजयपाल सिंह

2008 में बीजेपी के विजयपाल सिंह

2003 में बीजेपी के छोटेलाल सरावगी

1998 में कांग्रेस के कृष्णपाल सिंह

1993 में निर्दलीय महेंद्र बहादुर सिंह

1990 में जेडी से लक्ष्मण जयदेव सतपथी

1985 में कांग्रेस के गंभीर सिंह

1980 में कांग्रेस से महेंद्र बहादुर सिंह

1977 में कांग्रेस के कृष्णा पाल सिंह

पिपरिया

2003 को छोड़ दिया जाए 1998,2008,2013,2018 में इस सीट पर बीजेपी की जीत हुई है। पिपरिया सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। फसल की अच्छी पैदावार होने के बाद भी यहां के किसान परेशान है। किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिल पाते। लोगों को रोजगार की खातिर पलायन होना पड़ता है। शिक्षा, विकास और रोजगार के नाम पर ये इलाका बहुत पीछे है।

2018 में बीजेपी के ठाकुरदास नागवंशी

2013 में बीजेपी के ठाकुरदास नागवंशी

2008 में बीजेपी के ठाकुरदास नागवंशी

2003 में कांग्रेस के सुखदेव पांसे

1998 में बीजेपी के डॉ रमेश

1993 में कांग्रेस से बेखराम साहू

1990 में जेडी से रमेश

1985 में कांग्रेस से लक्ष्मी नारायण इंदुपुरिया

1980 में कांग्रेस से लक्ष्मीनारायण इंदुपुरिया

1977 में जेएनपी से रमेश

Created On :   9 July 2023 2:05 PM GMT

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