बंद कमरे में सुनवाई ..सजा और फांसी: ईरान ने सुरक्षा बलों की हत्या और बम विस्फोटों के आरोपों में 6 कैदियों को फांसी, संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार समूहों ने जताई चिंता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान ने 6 कैदियों को आज फांसी दी, इन कैदियों ने जून में 12 दिनों तक चले ईरान-इजराइल युद्ध में देश के तेल-समृद्ध दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में इजराइल के लिए हमले किए, ये हमले अशांत खुजस्तान प्रांत के खोर्रमशहर के आसपास के ठिकानों में हुए, जिनमें कई सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या की गई थी। युद्ध समाप्ति के बाद तेहरान ने अपने दुश्मनों को ईरान में और ईरान से बाहर निशाना बनाने की चेतावनी दी थी। ईरान की सजा पर संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार समूहों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। कई मानवाधिकार वर्कर्स का कहना है कि इजराइल से जुड़े मामलों में ईरान अक्सर मृत्युदंड की सजा सुनाता है, केस सुनवाई में वह जबरन लिए गए बयान और बंद कमरे में सुनवाई का सहारा लेता है।
ईरान हर फांसी की रिपोर्ट नहीं देता है, संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी ईरान की फांसी की आलोचना की। ओस्लो स्थित समूह ईरान ह्यूमन राइट्स और वाशिंगटन स्थित अब्दुर्रहमान बोरौमंद सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स इन ईरान ने कहा कि 2025 में फांसी दिए जाने वाले लोगों की संख्या एक हजार से अधिक हो रही है। इस संख्या में और अधिक बढ़ोतरी हो सकती है।
ईरान की केंद्र सरकार पर खुजस्तान की अरब आबादी लंबे समय से भेदभाव का आरोप लगाती रही है। विद्रोही समूहों ने तेल पाइपलाइनों पर हमले किए हैं। ईरान ने शनिवार को एक अन्य कैदी को मौत की सजा दी। बताया जा रहा है कि इस कैदी पर 2009 में ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत में अन्य अपराधों के अलावा एक सुन्नी धर्मगुरु की हत्या का आरोप था।
विरोध प्रदर्शनों और जून युद्ध के जवाब में, ईरान 1988 के बाद से तेजी से कैदियों को मौत की सजा दे रहा है, जब ईरान-इराक युद्ध के अंत में उसने हजारों लोगों को मौत की सजा दी थी। ईरान का कहना है कि इन कैदियों ने बम विस्फोटों की योजना बनाई। युद्ध के दौरान,और उसके ठीक बाद नाम तुरंत पहचाने नहीं जा सके।
Created On :   4 Oct 2025 2:56 PM IST