बकरीद के लिए नागपुर के मस्कासाथ बाजार में कई नस्लों के बकरे बिकने आए, जिसमें पंजाबी नस्ल का बकरा 210 तो गुजराती नस्ल का 180 किलो का है। इन बकरों को घर में पालकर ही बड़ा किया गया है। मस्कासाथ मंडी में दूर-दूर से बकरे बिकने के लिए आते हैं, जिनकी कीमत लाखों रुपए तक होती है।
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तीन इंसानों के बराबर हैं ये बकरे, किसी का वजन 180 तो किसी का 210 किलो

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देशभर में मुस्लिम समाज आज (बुधवार) ईद का त्यौहार मना रहा है। सेवईयां, ड्राय फ्रूट्स और कपड़ों सहित तरह-तरह के सामानों से बाजार सजे हुए हैं, जिसमें मुस्लिम समाज के लोगों की भीड़ खरीदारी करने के लिए उमड़ रही है। ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर आज मुस्लिम समाज के लोग बकरों की कुर्बानी करते हैं। मुस्लिम समाज में इसका काफी महत्व है। कुर्बानी करने के बाद बकरों का कुछ हिस्सा खाने के लिए उपयोग में ले लिया जाता है तो वहीं कुछ हिस्सा गरीबों में बांट दिया जाता है। ईद के पहले बाजारों में कई नस्ल के बकरे बिकने आते हैं। इस बार ऐसे लाखों-करोड़ों बकरे देशभर में बिके हैं।
सामान्य तौर पर बकरे 30 किलों से 60-70 किलो तक के होते हैं, लेकिन कई नस्लों के बकरे ऐसे होते हैं, जो कम उम्र में ही 150 से 200 किलो वजन तक के हो जाते हैं। इन बकरों को विशेष तौर पर ईद के लिए तैयार किया जाता है। इनके खान-पान के साथ साफ-सफाई और दिनचर्या का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। कुछ लोग छोटी इन्हें छोटी उम्र में खरीद लाते हैं और ईद तक बड़ा करके कुर्बानी देते हैं तो वहीं कुछ लोगों इन्हें बड़ा करके अच्छे दामों में बेच देते हैं। बाजार में पंजाबी और गुजराती नस्ल के बकरों की हमेशा डिमांड रहती है। ऐसे ही बकरों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसमें पंजाबी नस्ल के बकरे का वजन 210 तो गुजराती नस्ल का बकरा 180 किलो का है।



गुलाबी नगरी जयपुर के पहाड़गंज का टाइगर नामक ये बकरा बड़े नाज से पला बढ़ा है। बकरे का वजन और ऊंचाई काफी ज्यादा है। बकरा मालिक ने इसे चांदी के बर्तनों में सूखे मेवे खिलाकर बड़ा किया है। इसकी खुराक भी आम बकरों के मुकाबले चार गुनी है।