क्या धरती पर शुरू होने जा रहा है छठा सामूहिक विनाश
डिजिटल डेस्क, नई दिुल्ली। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर छठा सामूहिक विनाश शुरू हो गया है। पहले हुई पांच सामूहिक घटनाएं तो प्राकृतिक थी पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार होने वाला सामूहिक विनाश इंसानी गतिविधियों की वजह से होगा। कई प्रजातियों के जीवों की मौत काफी बड़ी की संख्या में हो रही है, जिसके पीछे इंसान जिम्मेदार है।
बायोलॉजिकल रिव्यू जर्नल के तहत पिछले 500 सालों में धरती से करीब 13 फीसदी अकशेरुकीय प्रजातियां खत्म हो चुके हैं। इसे रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने ये चेतावनी दी है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो जीव विविधता में गिरावट आ जायेगी। वैज्ञानिकों की इस बात को प्रमाणित भी किया जा चुका है।जिन 13 फीसदी जीवों की बात की जा रही थी, उन्ही के बारे में भी इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पिसीज में भी इसका जिक्र है।
हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये लिस्ट एकतरफा है क्योंकि इस लिस्ट में स्तनधारी और पक्षी जाती शामिल है और अकशेरुकीय जीवों के नाम कम है। इस लिस्ट में अकशेरुकीय जीवों को बचाने का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। शोधकर्ताओं के हिसाब से अकशेरुकीय प्रजातीय के जीवों की सूची बताती है की बड़े पैमाने पर हम इन जीवों को खो रहे हैं। ये वो प्रजाति है जो तेजी से खत्म होती जा रही है। 2015 की एक स्टडी के अनुसार वैज्ञानिक धरती से मोलस्क के खतम होने की बात कह रहे हैं।
जारी की गई रेड लिस्ट के हिसाब से देखे तो कुल मिलाकर 882 प्रजातियों में से 1.50 लाख से लेकर 2.60 लाख मोलास्क धरती से खत्म हो चुके है। शोधकर्ताओं के अनुसार ये जानकारी उपरी है, एकदम बारीक जानकारी हासिल करना मुश्किल है क्योंकि इसके लिए दुनिया में हर समुद्र आर जमीन की जांच करनी पड़ेगी। ये संख्या इंसानी गतिविधियों की वजह से काम हुई इसे प्रमाणित कर दिया गया है।
रॉबर्ट कवि जो स्टडी में शामिल है उनके हिसाब से इंसान ही है जो किसी भी प्रकार के प्रक्रिया में बदलाव लाने की क्षमता रखता है और भविष्य को बदलने की भी क्षमता रखता है। जो जैव विविधता पर असर डालता है। रॉबर्ट कोवि के हिसाब से इंसान ही है जो विकास को बदलने और आगे बढ़ाने की क्षमता रखता है।
उनके हिसाब से ये भी कन्फर्म है की अगर किसी प्रकार के विनाश की ओर अग्रसर हो रहे है तो उसका कारण भी इंसान ही है। और वह ये भी कहते है की जिस प्रकार से जीव खत्म हो रहे है इस हिसाब से धरती पर छटा सामूहिक विनाश की शुरुवात हो चुकी है।
Created On :   19 Jan 2022 3:37 PM IST