दो देशों के बीच बटा ये गांव, सुबह चाय की चुस्की ली जाती है भारत में और डिनर होता है पराये देश में
डिजिटल डेस्क । दुनिया में ऐसे कम ही देश है जिनकी सीमा किसी और देश को छूती हो। ज्यादातर देश एक दूसरे से सटे हुए है। कई देशों में ऐसी समानताएं, आपसी भाईचारा और प्यार है कि ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि ये देश एक दूसरे से अलग है भी या नहीं। कई देशों ने तो सीमा पर दिवार, फैंसिग या किसी भी तरह की बंदिश नहीं लगाई है और लोग बिना किसी रोक टोक के इधर-उधर हो जाते है। ये सब सुनकर भारत के लोगों को पाकिस्तान सीमा जरूर याद आती होगी, क्योंकि जो युद्ध के हालात इन दो देशों के बीच है, उनसे हर शख्स डरता है, चाहे वो पाकिस्तानी हो या हिंदुस्तानी। इन दो देशों के बीच तनाव इतना बढ़ गया है कि सीमा पर खड़े जवान भी एक दूसरे को शायद गोली चलाने के इरादे से ही देखते हैं, लेकिन भारत की और भी सीमाएं है जो अन्य देशों से जुड़ती वहां हालात काफी अलग है। यहां तक कि भारत का एक हिस्सा इस कदर दूसरे देश से जुड़ा है जहां लोग, सुबह की चाय भरत में पीते है और डिनर पड़ोसी देश में करते है। आपको सुनकर अजीब लगेगा, शायद यकीन भी नहीं होगा कि हर तरफ दुश्मनों से घिरा रहने वाला हमारा भारत किसी देश से इतना कैसे मेल बढ़ा सकता है। हम आपको बता दें कि देश के उत्तर-पूर्व सीमा पर स्थित नगालैंड राज्य के मोन जिले में एक ऐसा गांव बसा है। यहां के लोग बड़ी ही आसानी से म्यांमार देश की सीमा में दाखिल हो जाते है।इस गांव से जुड़ी सबसे रोचक बात ये है कि ये गांव अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा में आधा भारत में और आधा म्यांमार में बसा है।
आज जब भारत पर हर पड़ोसी देश बुरी नजर गड़ाए बैठा है। ठीक उसी समय इंसानों की एक ऐसी भी बस्ती है, जहां सरहदें मायने नहीं रखती हैं। ये बस्ती भारत की सरहद पर बसी है, इस बस्ती में रहने वालों लोगों के पास दो देशों की नागरिकता प्राप्त है।
लोंगवा गांव के लोगों के पास दोनों ही देशों के नागरिकता है, यानी वे भारत के नागरिक भी हैं और म्यांमार के भी। यहां घर ऐसे बने हुए हैं कि परिवार के लोगों का खाना तो म्यांमार में बनता है, वहीं घर के लोग भारत में आराम करते हैं। यह खूबी इस गांव को दूसरों से अलग बनाती है।
सबसे आश्चर्य की बात है कि गांव के मुखिया का एक बेटा म्यांमार की सेना में सैनिक है। यहां देश के नाम पर टकराव और तनाव बिल्कुल नहीं दिखाई देता है। इस गांव के लोग बेहद शालीन हैं और दोनों देशों से प्यार करते हैं। ये गांव पूरी दुनिया को अमन और चैन का संदेश दे रहा है कि सरहदें कड़वाहट के लिए नहीं, बल्कि अमन और शांति के लिए होती हैं।
Created On :   11 March 2018 2:15 PM IST