डायनासोर समेत 9 माह में 300 प्रजाति का जीवन खत्म, एस्टेरॉयड से धरती पर छाया था अंधेरा: रिसर्च

Research says Life of 300 species including dinosaurs ended in 9 months, the earth was dark due to asteroid
डायनासोर समेत 9 माह में 300 प्रजाति का जीवन खत्म, एस्टेरॉयड से धरती पर छाया था अंधेरा: रिसर्च
अजब-गजब डायनासोर समेत 9 माह में 300 प्रजाति का जीवन खत्म, एस्टेरॉयड से धरती पर छाया था अंधेरा: रिसर्च

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डायनासोरों के खत्म होने का क्या है पूरा सच? इस पर एक नई रिसर्च सामने आई है जिसमें बताया गया है कि लगभग 6.60 करोड़ों वर्ष पहले एस्टेरॉयड ने धरती पर से डायनासोरों समेत 300 प्रजाति का अंत कर दिया था। एस्टेरॉयड के धरती से टकराने पर धरती पर आग लग गई थी।

Darkness by Asteroid

जिससे पूरे वायुमंडल धुआं छा गया और पूरी धरती पर अंधेरा छा गया था। दो साल तक पृथ्वी अंधकार में डुबी रही। इससे सूरज की रोशनी आनी बंद हो गई। इस भयंकर प्रलय के कारण कोरोड़ों पौधे और जीव-जंतु का अंत हो गया। जो कि एक सामूहिक संहार था। क्योंकि सूर्य की किरणे पृथ्वी पर न आने से फोटोसिंथेसिस (Photosynthesis) की प्रक्रिया बंद हो गई थी।

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जिससे पूरा इकोसिस्टम (ecosystem) बिगड़ता चला गया था। यह स्टडी अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की न्यू ओरिलींस में हुई बैठक में पेश की गई। गर्म पत्थरों से निकली राख और सल्फ्यूरिक एसिड की वजह से बने धुएं की वजह से धरती का वायुमंडल फट गया था। इस वजह से वैश्विक स्तर के तापमान में गिरावट हुई। आसमान से एसिड की बारिश ने जंगलों में आग लगा दी। जो तबाही का कारण बनीं। 

किसे कहते है “क्रिटेसियस काल”

14.5 कोरोड़ से 6.6 करोड़ साल के समय को क्रिटेसियस काल (Cretaceous Period) कहा गया हैं। इस काल में 12 किलोमीटर व्यास (Diameter) का एक एस्टेरॉयड 43 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती से टकराया था।

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इससे मेक्सिको की खाड़ी में युकाटन प्रायद्वीप के पास चिक्सुलूब क्रेटर बन गया। क्रेटर एक प्रकार का गढ्ढा है जिसका व्यास 150 किलोमीटर है। यह क्रेटर पानी के अंदर है। क्रेटर की भयंकर प्रलय ने 75 फीसदी जीवन को 9 महीने में खत्म कर दिया था। केवल उड़ने वाले डायनासोर ही बच पाये थे। इनकी वंशावली आज के पक्षी है।

कैलोफोर्निया के पीटर रुपनारायन ने क्या कहा

कैलोफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंसेस में जुलॉजी एंड जियोलॉजी के क्यूरेटर पीटर रुपनारायन ने कहा है कि एक न्यूक्लियर विंटर सेनारियों था। उन्होंने ठंड और अंधेरे को तबाही का कारण बताया।

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वैज्ञानिकों ने एस्टोरॉयड के हमले से फैले अंधेरे पर मॉडल्स बनाने के बाद उनकी गणनाएं की। जिससे पता चला कि अंधेरे की वजह से ही धरती पर से जीवन खत्म होता चला गया।

क्या कहती है वैज्ञानिकों की स्टडी

वैज्ञानिकों की स्टडी में बताया गया कि उस दौरान 300 प्रजातियों के जीव-जंतु मारे गए थे। पीटर ने बताया कि अमेरिका के मोंटाना, नार्थ डकोटा और व्योमिंग में यह फॉसिल (fossil) फैले हुए है। स्टडी में सल्फ्यूरिक एसिड के कण भी मिले है। जिससे यह पता चलता है कि उस समय प्रलय क्यों हुई थी।

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इस घटना की परिस्थिति को जानने के लिए कंप्यूटर में एक सिमुलेशन मॉडल बनाया गया जिससे पता चला कि 100 से 700 दिनों प्रलय के दौरान धरती पर अंधेरा था। इसकी वजह से 73 से 75 फीसदी जीव-जंतुओं का जीवन समाप्त हो गया था। इस घटना के 150 दिनों के बाद धरती पर फिर से जीवन की शुरुआत हुई।

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बादल छटने के 200 दिनों बाद कई प्रजातिया विलुप्त हो गई थी। पीटर का कहना है कि लगातार वायुमंडलीय स्थितियों और तापमान के बिगडने से अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग जीव पैदा हुए।

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जैसे-जैसे स्थितियां सामान्य होती गई वैसे ही धरती पर नई प्रजातियों ने जन्म लेना शुरु कर दिया। इस पूरी प्रक्रिया में 40 साल लग गए। इसके बाद से धरती पर पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं ने नए इकोसिस्टम में ढलकर खुद को सर्वाइव करना सीख लिया।

विश्व का सबसे बड़ा क्रेटर- चिक्सुलूब क्रेटर

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मेक्सिकों की खाड़ी में प्रायद्वीप के पास चिक्सुलूब क्रेटर विश्व का सबसे बड़ा क्रेटर है जो धरती पर एस्टोरॉयड की टक्कर से बना था। इसकी वजह से पृथ्वी की भौगोलिक परिस्थितियां बदल गई थी।

 

Created On :   28 Dec 2021 7:14 PM IST

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