भारत का एक ऐसा रेलवे स्टेशन जहां आज भी सूरज ढलने के बाद कोई नहीं जाता, भूत के डर से कई सालों तक रहा बंद

Story of Begunkodor Railway Station West bengal
भारत का एक ऐसा रेलवे स्टेशन जहां आज भी सूरज ढलने के बाद कोई नहीं जाता, भूत के डर से कई सालों तक रहा बंद
भारत का एक ऐसा रेलवे स्टेशन जहां आज भी सूरज ढलने के बाद कोई नहीं जाता, भूत के डर से कई सालों तक रहा बंद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया में कई ऐसी जगहें है जो अजब-गजब कारण से चर्चा में रहती है। आज हम आपको भारत के ऐसा रेलवे स्टेशन की कहानी बताने जा रहे हैं जो भूतों के डर से कई सालों तक बंद रहा। यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में है, जिसका नाम है बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन। 1960 में खुला यह स्टेशन भूतों को देखने की खबरों के बाद सुनसान हो गया था, हालांकि 2009 में तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी ने दोबारा इस स्टेशन को खुलवाया।

संथाल की रानी श्रीमति लाचन कुमारी के योगदान से इस स्टेशन को साल 1960 मे शुरू किया गया था। कुछ सालों तक यहां पर सब कुछ ठीक रहा, लेकिन साल 1967 में एक रेलवे कर्मचारी ने स्टेशन पर महिला का भूत देखने का दावा किया। ये भी अफवाह फैली की महिला की मौत उसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हो गई थी। इस घटना के बाद बेगुनकोडोर के स्टेशन मास्टर और उनका परिवार रेलवे क्वार्टर में मृत अवस्था में पाया गया। लोगों ने दावा किया इसके पीछे उसी भूत का हाथ था। 

लोगों का कहना था कि सूरज ढलने के बाद जब भी कोई ट्रेन यहां से गुजरती थी तो महिला का भूत उसके साथ-साथ दौड़ने लगता था और कभी-कभी तो ट्रेन से भी तेज दौड़कर उसके आगे निकल जाता था। इसके अलावा कई बार उसे ट्रेन के आगे पटरियों पर भी नाचते हुए देखा गया था। इन घटनाओं के बाद बेगुनकोडोर को भूतिया रेलवे स्टेशन माना जाने लगा और यह रेलवे के रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया। लोग महीला के भूत के खौप से इस स्टेशन पर आने से कतराने लगे। यहां तक कि स्टेशन पर काम करने वाले रेलवे कर्मचारी भी डर के मारे यहां से चले गए। कोई भी कर्मचारी इस स्टेशन पर अपनी पोस्टिंग नहीं कराना चाहता था।

इस स्टेशन को लेकर यह भी कहा जाता है कि उस वक्त जब भी कोई ट्रेन इस स्टेशन से गुजरती थी तो लोको पायलट स्टेशन आने से पहले ही ट्रेन की गति बढ़ा देते थे, ताकि जल्द से जल्द वो इस स्टेशन को पार कर सकें। यहां तक कि ट्रेन में बैठे लोग स्टेशन आने से पहले ही खिड़की-दरवाजे सब बंद कर लेते थे। हालांकि, साल 2009 में गांववालों के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर इस स्टेशन को खुलवाया। लेकिन अभी भी लोग सूरज ढलने के बाद स्टेशन पर नहीं रुकते हैं। फिलहाल यहां करीब 10 ट्रेनें रुकती हैं।

Created On :   21 Jun 2021 6:12 PM GMT

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