मंगल ग्रह पर इंसान के पहुंचने में क्या है चुनौतियां, पढ़िए यहां

this is the reason why no one has reached to mars yet
मंगल ग्रह पर इंसान के पहुंचने में क्या है चुनौतियां, पढ़िए यहां
मंगल ग्रह पर इंसान के पहुंचने में क्या है चुनौतियां, पढ़िए यहां

डिजिटल डेस्क। वैसे तो विज्ञान के क्षेत्र में हमने काफी तरक्की हासिल कर ली है, लेकिन आज भी कई चीजें हैं जो लोगों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। हम भी आज उन्हीं में से एक की बात करने जा रहे हैं, जो है मंगल ग्रह पर आज तक इंसानों का न पहुंच पाना। इसके पीछे कई कारण है, जिनके बारे में अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी जिक्र कर चुकी है।

नासा ने पिछले साल मंगल ग्रह पर इंसान के पहुंचने के रास्ते में आने वाली मुश्किलों की एक सूची बनाई थी। नासा के मुताबिक ये मुश्किलें हैं- मंगल ग्रह पर विकिरण, धरती से मंगल ग्रह की अधिक दूरी, गुरुत्वाकर्षण और वहां का बंद वातावरण। 

मंगल पर जाने में सबसे पहली चुनौती विकिकरण को लेकर है, जिसे सीधे तौर पर देखा नहीं जा सकता। चूंकि मंलग ग्रह का अपना कोई चुम्बकीय क्षेत्र नहीं है, ऐसे में वहां का खतरनाक ब्रह्मांडीय विकिरण (रेडिएशन) इंसानों की आंखों में मोतियाबिंद और यहां तक कि कैंसर का कारण भी बन सकता है। दूसरी परेशानी धरती से मंगल ग्रह की दूरी है जो करीब 14 करोड़ मील है। चांद तक पहुंचने के लिए अतंरिक्ष यात्रियों को मुश्किल से तीन दिन की यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन मंगल ग्रह तक पहुंचने के लिए इंसान को कई महीनों तक यात्रा करनी होगी। ये अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। 

अतंरिक्ष यात्रियों को चाहे कितना भी प्रशिक्षण दिया गया हो, लेकिन थोड़े समय तक अतंरिक्ष में रहने के बाद उनके व्यवहार में बदलाव आने लगता है। इसके लिए नासा एक ऐसी टीम की तलाश कर रही है, जिसमें मजाकिया लोग भी हों जो अपना काम बखूबी करें। इसके साथ ही वो पूरी टीम को हंसाते भी रहें, क्योंकि इतने लंबे समय के मिशन में इंसान के अंदर तनाव आ सकता है। मंगल ग्रह पर इंसानों को धरती से अलग गुरुत्वाकर्षण का भी सामना करना पड़ेगा। धरती पर जिस इंसान का वजन 100 पाउंड यानी 45.3 किलो होगा, मंगल ग्रह पर उसी का वजन 38 पाउंड यानी 17.2 किलो हो जाएगा। 

मंगल का तापमान और दबाब भी इंसानों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। पृथ्वी के मुकाबले ठंड, धूल भरी आंधी और बवंडर, मंगल ग्रह पर कहीं ज्यादा हैं। गर्मियों में मंगल ग्रह का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहता है, लेकिन सर्दियों में यही तापमान -140 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। चूंकि इंसानों के जिंदा रहने के लिए सबसे जरुरी है ऑक्सीजन, लेकिन मंगल ग्रह पर इसकी काफी ज्यादा कमी है। मंगल के वातावरण में 96 फीसदी कार्बन डाई ऑक्साइड है, 1.93 फीसदी आर्गन, 0.14 फीसदी ऑक्सीजन और 2 फीसदी नाइट्रोजन है। साथ ही यहां के वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड के निशान भी पाए गए हैं। ऐसे में वहां पर कोई भी इंसान महज कुछ घंटों तक ही जिंदा रह पाएगा। 

हालांकि नासा का कहना है कि साल 2030 तक अतंरिक्ष यात्रियों का एक दल मंगल ग्रह पर कदम रखेगा। वहीं, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी "ईएसए" भी साल 2050 तक एक ऐसे ही अभियान को संभव मानती है।  


 

Created On :   21 Feb 2019 5:15 PM IST

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