साईं को चढ़ाया 40 किलो का लड्डू, फूल - गुब्बारों से की गई आकर्षक सजावट

साईं को चढ़ाया 40 किलो का लड्डू, फूल - गुब्बारों से की गई आकर्षक सजावट

Tejinder Singh
Update: 2019-12-04 13:09 GMT
साईं को चढ़ाया 40 किलो का लड्डू, फूल - गुब्बारों से की गई आकर्षक सजावट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्धा रोड स्थित श्री साईं मंदिर के 40वें स्थापना दिवस पर मंगलवार को 40 किलो का बूंदी का लड्डू साईंबाबा को अर्पित किया गया। साईंबाबा के दर्शन के लिए सुबह सेे ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालु दिनभर साईंबाबा के जयकारे लगाते रहे। श्री साईंबाबा सेवा मंडल की ओर से मंगलवार को वर्धा रोड स्थित श्री साईं मंदिर का 40वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। मंदिर की फूलों और गुब्बारों से आकर्षक सजावट की गई थी। 40वें स्थापना दिवस पर 40 किलो का बूंदी का विशाल लड्डू साईंबाबा को मंडल की ओर से चढ़ाया गया। साईं मंदिर के संस्थापक विजय बाबा कोंड्रा ने लड्डू का भोग साईंबाबा को लगाया। साईंबाबा को चढ़ाए गए 40 किलो के लड्डू का बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरण किया गया। साईंबाबा के जयकारे से मंदिर परिसर गूंज उठा। बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। श्री साईंबाबा सेवा मंडल की ओर से वर्ध रोड स्थित श्री साईं मंदिर की स्थापना सन 1979 में 3 दिसंबर को की गई थी जिसे 39 वर्ष पूर्ण हो गए हैं और 40वें वर्ष में पादर्पण किया। 
इस अवसर पर मंडल के सचिव अविनाश शेगांवकर, कोषाध्यक्ष राजेंद्र देशमुख, विश्वस्त राजेंद्र दांडेकर, कैलाश जोगानी, साईंभक्त प्रमोद होले, आशीष राऊत, विनोद जोग प्रमुखता से उपस्थित थे।

वेदों ने गाई है मां भगवती की महिमा : नंदकिशोर पांडेय

आदिकाल में वेदों ने माता भगवती के प्रादुर्भाव और लीला का जो वर्णन किया है, वह आज भी सत्य है। माता ने ही इस दृश्य - अदृश्य सृष्टि की रचना की है। जो भी माता भगवती के रूप और लीला का गुणगान कर उनकी आराधना करता है उसके सभी क्लेश समाप्त होकर अभय को प्राप्त जाता है। यह उद्गार पं. नंदकिशोर पाण्डेय ने वाड़ी विश्वनाथ बाबा हाईस्कूल प्रांगण में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ में व्यक्त किए। व्यास पूजन कथा के यजमान अयोध्यावासी वैस गुप्ता परिवार के धीरज गुप्ता, सविता गुप्ता ने किया। नत्थूलाल गुप्ता,  गंगा गुप्ता, हजारीलाल गुप्ता, रेखा गुप्ता उपस्थिति का निवेदन किया है। कथा समय दोपहर 2  बजे है ।

‘विट्ठल की महिमा निराली’ 

भगवान विट्ठल की महिमा निराली है। उनकी जीवन संगिनी रुक्मिणी लक्ष्मी स्वरूपिणी हैं। यह उद्गार विट्ठल रुक्मिणी देवस्थान, भारतमाता चौक, जागनाथ बुधवारी में दिनकर यशवंतराव अलोणे महाराज ने अखंड हरिनाम सप्ताह निमित्त आयोजित श्रीमद् भागवत में अपनी अमृतमय वाणी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रुक्मिणी भगवान को अपना सर्वस्व मानती थी। उसने प्रण लिया था कि मैं भगवान विट्ठल के साथ ही विवाह रचाऊंगी। बुधवार, 4 दिसंबर को माऊली महाराज मुरेकर, आलंदीकर के कीर्तन होंगे। कथा का समय नित्य सुबह 10.30 से 12 बजे तक रहेगा।


 

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