इधर-उधर घूमने वाले 50 बच्चे पहली बार पहुंचे स्कूल, क्लासरूम में पहुंचते ही चमके चेहरे

इधर-उधर घूमने वाले 50 बच्चे पहली बार पहुंचे स्कूल, क्लासरूम में पहुंचते ही चमके चेहरे

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-28 10:22 GMT
इधर-उधर घूमने वाले 50 बच्चे पहली बार पहुंचे स्कूल, क्लासरूम में पहुंचते ही चमके चेहरे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जब बच्चों में पढ़ने की ललक हो और उन्होंने पहली बार क्लासरूम में प्रवेश किया हो, तो निश्चय ही उनकी आंखों में चमक दिखाई देगा। कुछ ऐसा ही उन 50 बच्चों की आंखों में दिखाई दिया, जब उन्होंने पहली बार कक्षा में प्रवेश किया। ये इधर-उधर घूमने वाले वे बच्चे हैं, जिन्हें शहर के युवा धीरज भिसेकर ने जूना कामठी कलमना मराठी प्राथमिक शाला में प्रवेश दिलाया। जब बच्चे स्कूल में पहुंचे तो उनका फूलों से स्वागत किया गया। उसके बाद बिस्किट दिया गया और  खिचड़ी भी खिलाई गई। बच्चों के पैरेन्ट्स भी काम की तलाश में यहां-वहां भटकते रहते हैं। इसके लिए उन्होंने महानगर पालिका के शिक्षण विभाग में चर्चा की और बच्चों को प्रवेश की रजामंदी दी।

पैरेन्ट्स को मिला काम और बच्चों को स्कूल
धीरज ने बताया कि रोजगार की तलाश में कई परिवार शहर में आते हैं। उनको रोजगार तो मिल जाता है, लेकिन उनके बच्चे स्कूल नहीं जाकर यहां-वहां घूमते रहते हैं। इससे उनका भविष्य अंधकारमय रहता है। इन 50 बच्चों के पैरेन्ट्स जलगांव, भुसावल, कलमना, अकोला, मूर्तिजापुर आदि स्थानों से रोजगार की तलाश में शहर में आए हैं। इन बच्चों की उम्र 6 से 13 वर्ष है। बच्चाें के पैरेन्ट्स मजदूरी आदि कर जीवन यापन करते हैं। धीरज ने बताया कि जब बच्चे पहली बार स्कूल पहुंचे और क्लासरूम देखे, तो इनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।

अपराध जगत में जाने से रोकना उद्देश्य
बच्चों को सही दिशा नहीं मिलने से वे अपराध जगत में कदम रख देते हैं, लेकिन जब इन बच्चों को प्रवेश मिला, तो इनके पैरेन्ट्स भी खुश हुए। पैरेन्ट्स का कहना है कि हमारे बच्चे पढ़-लिख कर अच्छे इंसान बनें, हम यहीं चाहते हैं। स्कूल जाने के लिए बच्चे बहुत उत्सुक रहते हैं, साथ ही वे स्कूल मे दिया गया होमवर्क भी प्रॉपर कर रहे हैं। अगर किसी को सही राह मिल जाए, तो कोई भी काम उसके लिए मुश्किल नहीं होता है। धीरज ने कहा कि समाज के हर युवा को इस बारे में विचार करना चाहिए, बच्चे ही हमारे देश का भविष्य हैं। 

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