भीमा कोरेगांव हिंसा : मंत्री केसरकर के बयान पर अंबेडकर के पोते ने उठाए सवाल 

भीमा कोरेगांव हिंसा : मंत्री केसरकर के बयान पर अंबेडकर के पोते ने उठाए सवाल 

Tejinder Singh
Update: 2018-01-04 11:59 GMT
भीमा कोरेगांव हिंसा : मंत्री केसरकर के बयान पर अंबेडकर के पोते ने उठाए सवाल 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गुरुवार को महाराष्ट्र में हालात सामान्य हो गए। भीमा कोरेगांव में हिंसा के विरोध में बुलाए गए महाराष्ट्र बंद को बहुजन महासंघ के नेता और बाबा आंबेडकर के  प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार शाम करीब 4.30 बजे वापस ले लिया था। प्रकाश ने कहा था कि भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे जिम्मेदार हैं। उन्हें उम्मीद है कि दोनों आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि दोनों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो भाजपा का ही नुकसान होगा। 

इस बायान पर केसकर और आंबेडकर आमने सामने 

उधर प्रदेश के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि भीमा कोरेगांव हिंसा के दौरान जिस युवक की मौत हुई है, वह दलित समाज का नहीं है। केसरकर ने दावा किया कि वह युवक दलित नहीं था। इस पर भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि उन्हें केसरकर के बयान से आश्यर्च हो रहा है। प्रकाश ने कहा कि मृतक युवक की पहचान अभी तक पुलिस विभाग से सामने नहीं आई है। प्रकाश ने कहा कि वह युवक नांदेड़ के कांधार का है। कांधार के पुलिस स्टेशन की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है कि वह युवक कौन से समाज का था। प्रकाश ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट आए बिना गृह राज्य मंत्री बयान कैसे दे सकते हैं। 

जज की नियुक्ति बाम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा हो

प्रकाश ने कहा कि उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से महाराष्ट्र बंद की जिम्मेदारी ली थी। जिसे उन्होंने पूरा किया। बंद के दौरान कोई भी बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई। अब प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की है। प्रकाश ने कहा कि विभिन्न संगठनों की तरफ से आंदोलन में प्रदेश की 50 प्रतिशत जनता शामिल हुई थी। भीमा कोरेगांव हिंसा की न्यायालीन जांच होनी चाहिए। जांच के लिए दलित समाज के जज की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। जज की नियुक्ति बाम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा होनी चाहिए। जांच के लिए नियुक्त जज को सिविल और क्रिमिनल दोनों अधिकार दिया जाना चाहिए। 

Similar News