अमरावती से सांसद नवनीत राणा का जाति प्रमाणपत्र हुआ रद्द

अमरावती से सांसद नवनीत राणा का जाति प्रमाणपत्र हुआ रद्द

Tejinder Singh
Update: 2021-06-08 11:48 GMT
अमरावती से सांसद नवनीत राणा का जाति प्रमाणपत्र हुआ रद्द

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को अमरावती से लोकसभा सांसद नवनीत कौर राणा के जाति प्रमाणपत्र को अवैध ठहराते हुए उसे रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि यह प्रमाणपत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल किया गया है। लिहाजा इसे जब्त कर रद्द किया जाता है। अदालत ने राणा को 6 सप्ताह के भीतर अपना जाति प्रमाण पत्र जातिप्रमाण पत्र कमेटी को वापस करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कहा है कि जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने से जुड़े  वे (राणा) सभी परिणाम का सामना करे। हाईकोर्ट के इस फैलने का असर उनकी लोकसभा की सदस्यता पर पड़ सकता है। 

न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की खंडपीठ ने यह फैसला शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है। याचिका में मुख्य रूप से  मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र पड़ताल कमेटी की ओर से राणा के जाति प्रमाण पत्र की वैधता के विषय में 3 नवंबर 2017 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि राणा ने यह जाति प्रमाणपत्र जाली दस्तावेज के आधार पर हासिल किया गया है। इसलिए इसे रद्द किया जाए। 

खंडपीठ ने नौ अप्रैल 2021 को मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे खंडपीठ ने मंगलवार को सुनाते हुए राणा के जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया। 108 पन्ने के फैसले में खंडपीठ ने कहा है कि जाति प्रमाणपत्र जारी करने वाली कमेटी से अधिक सतर्कता व सावधानी से काम करने की अपेक्षा की जाति है। लेकिन इस मामले में कमेटी से जुडी यह अपेक्षा पूरी होती नजर नहीं आयी है। कमेटी से उम्मीद की जाती है कि वह अपने कार्य में न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करेंगी। लेकिन ऐसा इस प्रकरण में नहीं हुआ है। जरूरी सावधानी व सतर्कता न बरतने के कारण कमेटी के कार्य से जुडी गड़बड़ी न्यायालय के जाल में जरूर फसी हैं। भविष्य में हम आशा करते है कि कमेटी इस मामले जैसी गलती को नहीं दोहराएगी। 

खंडपीठ ने राणा पर दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की इस रकम को महाराष्ट्र विधि सेवा प्राधिकरण के पास दो सप्ताह के भीतर जमा करने को कहा गया है। खंडपीठ ने अपने फैसले में साफ किया है कि राणा ने अनुसूचित जाति(एससी) का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए खुद को मोची जाति का होने का दावा किया था। लेकिन यह दावा दस्तावेज को परखने के बाद फर्जी पाया गया है। 

खंडपीठ ने कहा है कि  राणा ने यह जातिप्रमाणपत्र एससी जाति के लिए उपलब्ध लाभ को हासिल करने के इरादे से बनवाया गया था। जबकि राण को यह पता था कि वे एससी जाति की नहीं है। राणा 2019 में अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की आरक्षित सीट से चुनाव जीता था। 

Tags:    

Similar News