मनमाने तरीके के कार जब्त करना आरटीओ अधिकारी को पड़ा भारी, लगा 50 हजार का जुर्माना

मनमाने तरीके के कार जब्त करना आरटीओ अधिकारी को पड़ा भारी, लगा 50 हजार का जुर्माना

Tejinder Singh
Update: 2021-07-29 13:35 GMT
मनमाने तरीके के कार जब्त करना आरटीओ अधिकारी को पड़ा भारी, लगा 50 हजार का जुर्माना

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने आरटीओ अधिकारी द्वार सात माह तक अवैध रुप से एक शख्स की कार को जब्त करने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले मे राज्य सरकार पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने सरकार को जुर्माने की यह रकम मनमाने तरीके कार को जब्त करनेवाले आरटीओ अधिकारी से वसूल करने की छूट दी है और उसे कार के मालिक को देने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे ने यह निर्देश भिवंडी निवासी विजय गोरडकर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में गोरडकर ने कहा था कि कार का मूल मालिक बैंक को कार से जुड़े कर्ज का भुगतान नहीं कर पाया था। इसलिए बैंक ने कार नीलाम कर दी थी। इस कार को कार के शोरुम ओनर ने खरीदा था। जिससे बाद में मैंने(गोरडक) कार खरीदी थी। दिसंबर 2020 में ड्राइवर फॉरच्यूनर कार से जुड़े दस्तावेज नहीं दिखा पाया था इसलिए आरटीओ अधिकारी ने कार को जब्त कर लिया था। इस दौरान आरटीओ अधिकारी ने ड्राइवर को चार सौ रुपए जुर्माने की रशीद भी दी। जिसे ड्राइवर ने भरने की इच्छा भी जताई। फिर भी आरटीओ अधिकारी कार को जब्त कर अपने साथ ले गया। आरटीओ अधिकारी ने मोटर वेहिकल अधिनियम की धारा 207 के तहत यह कार्रवाई की थी। इस धारा के तहत यदि गाड़ी बिना पंजीयन व परमिट के चलाई जाती है तो उसे जब्त किया जा सकता है। किंतु सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने पाया कि गाड़ी का पंजीयन प्रमाणपत्र याचिकाकर्ता(गोरडकर) के नाम पर था। आरटीओ के रिकार्ड में भी यह जानकारी दर्ज थी। न्यायमूर्ति ने पाया कि आरटीओ अधिकारी ने कार के पहले मालिक के साथ मिलकर मनमाने तरीके से सात महीने तक कार को जब्त करके रखा था। जो कि नियमों के खिलाफ है। इससे याचिकाकर्ता को काफी परेशानी हुई है और कार की हालत भी खराब हो गई है। इसलिए राज्य सरकार पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है और सरकार को जुर्माने की रकम नई मुंबई के आरटीओ अधिकारी से वसूल करने का निर्देश दिया जाता है। 

हाईकोर्ट में तीन दिन प्रत्यक्ष सुनवाई करने पर विचार

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट में तीन दिनों तक अब प्रत्यक्ष सुनवाई हो सकती है। जबकि एक दिन आनलाईन सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता में कोर्ट की प्रशासकीय कमेटी की बैठक में इस बारे में चर्चा हुई है। बैठक के दौरान कोर्ट के सभी कक्षों में हाईब्रीड सुनवाई की व्यवस्था बनाने पर भी बात हुई है। पर इस बारे में राज्य सरकार से वित्तीय सहयोग को लेकर समन्वय बनने के बाद इस दिशा में कदम उठाए जाएगे। अभी बेहद सीमित कोर्ट में हाईब्रीड सुनवाई की व्यवस्था है। जिसके तहत आनलाइन व प्रत्यक्ष सुनवाई की व्यवस्था है। वकीलों को सुनवाई के लिए आनलाईन आवेदन करने की छूट होगी। इस बैठक में एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह सहित वकील संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित थे। गौरतलब है कि फिलहाल कोर्ट में आनलाईन सुनवाई चल रही है। 


 

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