सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट विघटन की सुविधा ही नहीं

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट विघटन की सुविधा ही नहीं

Anita Peddulwar
Update: 2019-06-17 09:50 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक व्यक्ति का रक्तदान चार लोगों की जिंदगी बचा सकता है, लेकिन यह तब संभव है, जब रक्तदाता ने दान किए रक्त का विघटन हो जाए। मेडिकल अस्पताल के ब्लड बैंक को ब्लड कंपोनेंट में विघटन करने का लाइसेंस है। संग्रहित किए जाने वाले रक्त के 8 हजार यूनिट का कंपोनेंट में विघटन किया जाता है। इसी से संलग्न सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कंपोनेंट विघटन की सुविधा नहीं है। संग्रहित होने वाला 3500 यूनिट होल ब्लड मरीजों को चढ़ाया जाता है।

मेडिकल में 11500 यूनिट जमा होता है

शासकीय मेडिकल अस्पताल में विविध संस्थाएं, सामाजिक संगठनों के सहयोग से विशेष अवसर पर रक्तदान शिविर आयोजित कर रक्त संग्रहण किया जाता है। सालभर में 125 से 150 रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं। अस्पताल में भी प्रतिदिन रक्तदान की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। सालभर में लगभग 11500 यूनिट रक्त संग्रहित होता है।

3500 यूनिट रक्त का विघटन नहीं

सूत्रों की मानें तो रक्तदान के बाद 6 घंटे के भीतर रक्त का कंपोनेंट में विघटन होना अपेक्षित है। कंपाेनेंट में विघटन करने की यंत्र सामग्री मेडिकल अस्पताल में है। रक्तदान शिविर का मेडिकल से अंतर अधिक रहने पर 6 घंटे के भीतर रक्त मेडिकल में नहीं पहुंच पाता। समयसीमा में संग्रहित रक्त मेडिकल में नहीं पहुंच पाने पर विघटन नहीं किया जा सकता। इस कारण  3500 यूनिट होल ब्लड मरीजों को चढ़ाया जाता है।

सुपर स्पेशलिटी में 3500 यूनिट रक्त संग्रहण

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सालभर में 3500 यूनिट रक्त संग्रहण होता है। कंपोनेंट में विघटन का लाइसेंस नहीं रहने से होल ब्लड चढ़ाया जाता है। डॉ. मनीष श्रीगिरिवार के कार्यकाल में ब्लड कंपोनेंट यूनिट स्थापित करने के प्रयास हुए, लेकिन बीच में ही उनका यवतमाल तबादला हो जाने से सपना अधूरा रह गया। यवतमाल मेडिकल अस्पताल में उन्होंने ब्लड कंपोनेंट यूनिट को मंजूर करा लिया, लेकिन सुपर स्पेशलिटी में अभी तक यूनिट शुरू नहीं हो पाया।

ऐसी है व्यवस्था फिलहाल 

मेडिकल के ब्लड बैंक को विघटन का लाइसेंस है। रक्तदान के बाद 6 घंटे में ब्लड बैंक पहुंचने वाले रक्त का विघटन किया जा सकता है। देरी से पहुंचने वाला रक्त होल ब्लड दिया जाता है। सुपर स्पेशलिटी को होल ब्लड का लाइसेंस है। कंपोेनेंट की आवश्यकता पड़ने पर मेडिकल के ब्लड बैंक से लिया जाता है। -डॉ. संजय पराते , ब्लड बैंक प्रमुख, शासकीय मेडिकल अस्पताल

3 कंपोनेंट में रक्त विघटन

एक रक्तदाता के रक्त का विघटन कर 3 कंपोनेंट अलग किए जाते हैं। प्लेटलेट, आरबीसी और एफएफपी को िवघटित कर मरीज की आवश्यकता के अनुसार दिया जाता है। मेडिकल में संग्रहित 8 हजार यूनिट के विघटन से 25 हजार मरीजों की जान बचाई जाती है।

संपूर्ण रक्त का विघटन होता तो औरों की जान बचती

रक्त समय पर नहीं मिलने से कई मरीजों की जान चली जाती है। वहीं, संग्रहित संपूर्ण रक्त का विघटन नहीं हो पाने से होल ब्लड चढ़ाया जाता है। जानकारों की माने तो विघटित रक्त चढ़ाने पर एक व्यक्ति के रक्त से चार मरीजों की जान बचाई जा सकती है। परंतु सुपर स्पेशलिटी में ब्लड बैंक को विघटन का लाइसेंस नहीं है। जो रक्त संग्रहित किया जाता है, वह होल ब्लड चढ़ाया जाता है। मरीज को जिस कंपोनेंट की आवश्यकता है, वहीं कंपाेनेंट चढ़ाने से शेष कंपोनेंट और मरीज के काम आ सकते हैं।

संग्रहण की समयसीमा

संग्रहित संपूर्ण रक्त से विघटन कर प्लेटलेट, आरबीसी और एफएफपी अलग किया जाता है। प्लेटलेट अलग करने के बाद सामान्य तापमान में रखा जाता है। इसकी संग्रहण क्षमता अधिकतम 5 दिन है। आरबीसी को 6 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में अधिकतम 35 से 42 दिन रखा जा सकता है। एफएफपी यानी फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा माइनस 20 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में अधिकतम 1 वर्ष तक रखा जा सकता है। संपूर्ण रक्त संग्रहण की समयसीमा 35 से 42 दिन है।

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