गोसीखुर्द प्रकल्प में उत्खनन प्रक्रिया को दी चुनौती तो कोर्ट ने कहा - 8 लाख भरो

गोसीखुर्द प्रकल्प में उत्खनन प्रक्रिया को दी चुनौती तो कोर्ट ने कहा - 8 लाख भरो

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-13 05:35 GMT
गोसीखुर्द प्रकल्प में उत्खनन प्रक्रिया को दी चुनौती तो कोर्ट ने कहा - 8 लाख भरो

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गोसीखुर्द सिंचाई प्रकल्प की क्षमता को पूर्ववत करने के लिए भंडारा जिले के पवनी तहसील में इस प्रकल्प से रेत निकालने के कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। इस टेंडर प्रक्रिया को भंडारा जिला परिषद सदस्य नरेश डहारे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दावा किया है कि इस कार्य को करने के पूर्व पर्यावरण विभाग की अनुमति की जरूरत है, जो विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल (वीआईडीसी) ने नहीं ली है। इस मामले में  हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए 8 लाख रुपए कोर्ट में जमा कराने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को रखी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. माधव लाखे ने पक्ष रखा। 

यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार, यदि किसी भी सिंचाई प्रकल्प की क्षमता कायम रखने के लिए उसमें से समय-समय पर मलबा बाहर निकाना पड़ता है, लेकिन इसके लिए सिंचाई प्रकल्प का सर्वे करके उसमें कितना मलबा, कितनी रेत है यह पता लगा लेना चाहिए। वहीं उत्खनन के पूर्व इस कार्य के लिए पर्यावरण विभाग से भी अनुमति लेना जरूरी है। याचिकाकर्ता के अनुसार, इस कार्य के लिए वीआईडीसी ने पर्यावरण विभाग की अनुमति लिए बगैर यह टेंडर प्रक्रिया आयोजित की है। वीआईडीसी द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार, इस कार्य में 2 करोड़ 1 लाख 71 हजार 716 ब्रास मलबा और 54 लाख 72 हजार 465 ब्रास रेत निकाली जानी है। याचिकाकर्ता ने यह टेंडर प्रक्रिया ही रद्द करने की विनती हाईकोर्ट से की है।

हाईकोर्ट ने फिलहाल प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है, तब तक वर्कऑर्डर न जारी करने को कहा है। बता दें कि गोसीखुर्द प्रोजेक्ट का काम 33 वर्षों से भी अधिक समय से चल रहा है कई व्यवधानों के चलते यह प्रोजेक्ट लगातार लंबित होने से इसकी लागत भी बढ़ गई है।

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