नगर निगम जबलपुर के 10 और भेड़ाघाट नगर पंचायत के 3 अधिकारियों की नियुक्ति को चुनौती

नगर निगम जबलपुर के 10 और भेड़ाघाट नगर पंचायत के 3 अधिकारियों की नियुक्ति को चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-20 08:32 GMT
नगर निगम जबलपुर के 10 और भेड़ाघाट नगर पंचायत के 3 अधिकारियों की नियुक्ति को चुनौती

डजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में जबलपुर नगर निगम के 10 और भेड़ाघाट नगर पंचायत के 3 अधिकारियों की िनयुक्ति को चुनौती दी गई है। जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने राज्य सरकार, नगरीय प्रशासन विभाग, नगर निगम जबलपुर, भेड़ाघाट नगर पंचायत और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है। न्यू जगदंबा कॉलोनी जबलपुर निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट अभिषेक कुमार सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जबलपुर नगर निगम के कार्यपालन अभियंता अजय शर्मा, कमलेश श्रीवास्तव, राजवीर सिंह नयन, उपायुक्त राकेश अयाची, स्वास्थ्य अधिकारी गजेन्द्र सिंह चंदेल, एई भूपेन्द्र सिंह, कार्यालय अधीक्षक हरेन्द्र पाल सिंह, भवन अधिकारी सत्येन्द्र दुबे, जोन ऑफिसर बाहुबिल जैन और उमेश टोपरे, भेड़ाघाट नगर पंचायत के लिपिक जगदीश मिश्रा, लेखापाल अनीता यादव और शंभू प्रसाद चौबे की नियुक्ति नियम विरूद्द्ध तरीके से की गई है। 

नियुक्ति के लिए विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया 

याचिका में कहा गया कि इन अधिकारियों की नियुक्ति स्पेशल एरिया डेवलेपमेन्ट अथॉरिटी के नियमों के तहत की गई थी। नगर निगम में इन अधिकारियों की नियुक्ति के लिए विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। याचिका में कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों की नियुक्ति में नगर पालिका अधिनियम 1956 में वर्णित नियुक्ति प्रक्रिया की अनदेखी की गई है।  

नगर निगम में संविलियन अवैध 

याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम 1956 में दूसरे विभागों से आने वाले अधिकारियों के संविलियन का प्रावधान नहीं है। इसके बाद भी संबंधित अधिकारियों का नगर निगम में संविलियन कर लिया गया है। 

नगरीय प्रशासन विभाग ने हाईकोर्ट को नहीं दी थी जानकारी 

अधिवक्ता समरेश कटारे ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने मनसुख लाल सराफ मामले में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अवैध तरीके से नियुक्त हुए अधिकारियों की जानकारी मांगी थी। इसके आधार पर वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने 516 अधिकारियों की नियुक्तियां निरस्त कर दी थी। नगरीय प्रशासन विभाग ने अवैध तरीके से नियुक्त होने वाले अधिकारियों की जानकारी पेश नहीं की थी। इसकी वजह से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
 

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