तालाब की जमीन गौशाला निर्माण के लिए आवंटित करने को चुनौती, अंतरण नहीं किया जा सकता 

तालाब की जमीन गौशाला निर्माण के लिए आवंटित करने को चुनौती, अंतरण नहीं किया जा सकता 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-05 08:42 GMT
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में रीवा जिले में तालाब की 15 एकड़ जमीन गौशाला निर्माण के लिए आवंटित किए जाने को चुनौती दी गई है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विशाल धगट की युगल पीठ ने राज्य शासन, कलेक्टर रीवा, मनगवां तहसीलदार और ग्राम पंचायत बांस को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है। 
 

रीवा जिले के बांस ग्राम पंचायत निवासी सामाजिक कार्यकर्ता देवेन्द्र तिवारी की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 1920 में रीवा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राधा माधव ने जलसंकट को देखते हुए जिले की अलग-अलग ग्राम पंचायतों में 14 तालाबों का निर्माण कराया था। सभी तालाबों का सार्वजनिक उपयोग किया जा रहा है। राधा माधव की मृत्यु के बाद सभी तालाब शासकीय हो गए। इनमें से एक तालाब मनगवां तहसील के बांस ग्राम पंचायत में है। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने बांस ग्राम पंचायत के तालाब की 15 एकड़ जमीन को गौशाला के लिए आवंटित कर दिया है। अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने हिचलाल तिवारी मामले में स्पष्ट किया है कि तालाब की जमीन का किसी दूसरे प्रयोजन के लिए उपयोग या अंतरण नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार गौशाला निर्माण के लिए गांव की दूसरी सरकारी जमीन का उपयोग कर सकती है। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

हाईकोर्ट कर्मियों के वेतन विसंगति पर सुनवाई

हाईकोर्ट कर्मियों के वेतन विसंगति पर गुरुवार को फिर से सुनवाई की जाएगी। बुधवार को सुनवाई के बाद जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अंजुली पालो की युगल पीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई गुरुवार दोपहर 2.30 बजे नियत की गई है।मप्र हाईकोर्ट के 109 कर्मियों की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई है। अवमानना याचिका में कहा गया कि 28 अप्रैल 2017 को हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाए। अभी तक प्रस्ताव पर पुनर्विचार नहीं किया गया है। कार्यवाहक महाधिवक्ता शंशाक शेखर और उप महाधिवक्ता प्रवीण दुबे ने बताया कि युगल पीठ के निर्देश पर 27 अगस्त को रजिस्ट्रार जनरल, वित्त विभाग और विधि विभाग के प्रमुख सचिवों की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में यह कहा गया कि राज्य सरकार हाईकोर्ट कर्मियों का वेतन बढ़ाना चाहती है, लेकिन उतना संभव नहीं है, जितनी वृद्द्धि प्रस्तावित की गई है। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि वेतन वृद्द्धि 2015 से की जाए या फिर 2018 से की जाए। युगल पीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई गुरुवार को नियत की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली और हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता खालिद नूर फखरूद्दीन ने पक्ष प्रस्तुत किया। 

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