स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले चकाचौंध, फिर सालभर ठंडे बस्ते में अभियान

खिलवाड़ स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले चकाचौंध, फिर सालभर ठंडे बस्ते में अभियान

Tejinder Singh
Update: 2021-11-18 11:24 GMT
स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले चकाचौंध, फिर सालभर ठंडे बस्ते में अभियान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का प्रचार-प्रसार उसी समय किया जाता है, जब स्वच्छता सर्वेक्षण का समय करीब आता है। सर्वेक्षण के बाद स्वच्छता अभियान ठंडे बस्ते में चला जाता है। ऐन समय पर शहर को साफ-सुथरा बनाकर रैंकिंग तो मिल जाता है, लेकिन सर्वेक्षण के बाद होने वाली गंदगी को साफ करने में किसी को दिलचस्पी नहीं रहती। मनपा प्रशासन की इस तरह की कार्यप्रणाली शहर के नागरिकों के साथ खिलवाड़ है। शहर को ओडीएफ प्लस-प्लस का सर्टिफिकेट मिल चुका है। इसके बावजूद स्टार रेटिंग में नागपुर पीछे रहा। टॉप-10 में आने वाले शहर स्टार रेटिंग में 4 अंक तक पहुंचे, जबकि नागपुर 1-2 अंक पर सीमित रहा। पब्लिक फीडबैक, प्रत्यक्ष निरीक्षण, डाटा सबमिशन में शहर का अच्छा प्रदर्शन रहा। स्टार रेटिंग में आगे बढ़ने के लिए कदम उठाने होंगे।

पिछले वर्ष के परिणाम की घोषणा नहीं

आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर महीने में स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है। कोरोना के चलते पिछले वर्ष के परिणाम की अभी तक घोषणा नहीं हुई। इस वर्ष के स्वच्छता स्पर्धा की मनपा को हैंडबुक मिल चुकी है। पिछले वर्ष के परिणाम की घोषणा से पहले स्वच्छता सर्वेक्षण नहीं होगा, यह मानकर मनपा प्रशासन ठंडी सांस ले रहा है।

आगे-पीछे होती रही रैंकिंग

स्वच्छता सर्वेक्षण में नागपुर शहर की रैंकिंग आगे-पीछे होती रही। साल 2018 में 55 रैंकिंग मिली। साल 2019 में नीचे पायदान पर आकर 58 रैंकिंग पर आ गए। साल 2020 में ग्रेटर मुंबई, पिंपरी चिंचवड़, वसई विरार को पीछे छोड़कर 18 रैंकिंग पर पहुंच गए। तत्कालीन आयुक्त तुकाराम मुंढे ने मनपा टीम को इसका श्रेय देकर अाने वाले समय में रैंकिंग में सुधार की अपेक्षा व्यक्त की थी। वर्तमान में आयुक्त की कमान राधाकृष्णन बी. के हाथ में है। इस साल की स्वच्छता सर्वेक्षण स्पर्धा में आगे बढ़ने की उनके सामने बड़ी चुनौती है।

घनकचरा प्रबंधन बड़ा रोड़ा

स्वच्छता सर्वेक्षण स्पर्धा में घनकचरा प्रबंधन का विशेष महत्व है। पिछले वर्ष घनकचरा प्रबंधन के लिए 25% अंक थे। इस वर्ष बढ़ाकर 30% किए गए हैं। नागपुर शहर में घनकचरा प्रबंधन रैंकिंग के सुधार में सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। इसमें सुधार लाने के लिए घनकचरा प्रक्रिया प्रकल्प जरूरी है। नागपुर महानगरपालिका उसी में मात खा रही है। शहर से प्रतिदिन निकलने वाले कचरे पर प्रक्रिया करने की सुविधा नाकाफी है। टाॅप-10 में आने वाले शहरों को घनकचरा प्रबंधन में मिलने वाले अंकों के मुकाबले नागपुर को मिलने वाले अंक के बीच काफी अंतर है।

 

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