सिर्फ एक मामले के आधार की गई जिला बदर की कार्रवाई हाईकोर्ट से निरस्त

 सिर्फ एक मामले के आधार की गई जिला बदर की कार्रवाई हाईकोर्ट से निरस्त

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-27 08:53 GMT
 सिर्फ एक मामले के आधार की गई जिला बदर की कार्रवाई हाईकोर्ट से निरस्त

डिजिटल डेस्क जबलपुर । सिर्फ एक आपराधिक मामले के आधार पर दमोह निवासी एक युवक के खिलाफ की गई जिला बदर की कार्रवाई हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने याचिका को सुनवाई के बाद स्वीकार करते हुए एसपी के प्रतिवेदन पर दमोह कलेक्टर द्धारा आवेदक के खिलाफ 12 नवंबर 18 को जारी आदेश खारिज कर दिया।
 20 मामलों में दोषमुक्त हो चुका है
दमोह निवासी रूपेश रजक की ओर से दायर इस याचिका में डिस्ट्रिक्ट मजिस्टे्रट  दमोह द्धारा एसपी के प्रतिवेदन पर 12 नवंबर 18 को उसके खिलाफ एक साल के लिये की गई जिला बदर की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी। आवेदक का कहना था कि उसके खिलाफ उक्त कार्रवाई यह कहते हुए की गई कि उसके खिलाफ दो दर्जन अपराधिक मामले दर्ज है। इसका याचिकाकर्ता ने जवाब देकर बताया था कि वह 20 मामलों में दोषमुक्त हो चुका है। एक मामला वर्ष 2018 का है, जिस पर उसे जमानत मिली है। इतना ही नहीं वर्ष 2013 व 15 में भी उसके खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी, लेकिन दमोह कलेक्टर ने वो अमान्य कर दी थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि वर्ष 2018 के एक मामले को आधार बनाकर पूरी कार्रवाई राजनीतिक प्रतिद्धंदिता के चलते की गई है। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी जिला बदर के आदेश को निरस्त कर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सौरभ शर्मा ने पैरवी की।
 

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