कोरोना मरीज भले न हों, लेकिन कोविड बेड कम नहीं कर सकेंगे प्राइवेट अस्पताल

कोरोना मरीज भले न हों, लेकिन कोविड बेड कम नहीं कर सकेंगे प्राइवेट अस्पताल

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-23 17:06 GMT
कोरोना मरीज भले न हों, लेकिन कोविड बेड कम नहीं कर सकेंगे प्राइवेट अस्पताल



डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना संक्रमण की रफ्तार में आई कमी ने राहत देने का काम किया है। अप्रैल और मई के शुरुआती हफ्तों तक जहाँ अस्पतालों में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड के लिए मरीज इधर से उधर भटक रहे थे, वहीं अब जिले के कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या में तेजी से कमी आई है। 23 मई की शाम तक जिले के शासकीय और निजी अस्पतालों में कोविड के 65 फीसदी बेड खाली थे। 7 शासकीय अस्पतालों में 1284 बिस्तरों में से 674 पर मरीज भर्ती हैं, वहीं 55 निजी अस्पतालों में 2348 बिस्तरों पर मात्र 598 मरीज ही भर्ती हैं। घटते मरीजों के बीच निजी अस्पताल कोरोना के आरक्षित बिस्तरों में कटौती नहीं कर सकेंगे। इस संबंध में सीएमएचओ द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शासन की गाइडलाइन के बाद निजी अस्पतालों द्वारा आरक्षित कराए गए कोविड बेड में कमी नहीं की जा सकती, लेकिन कोई सामान्य मरीज अगर उपचार के लिए आता है तो उसे कोविड के लिए आरक्षित बिस्तरों में भर्ती किया जा सकता है। आदेश के बाद अब कई निजी अस्पतालों में सामान्य मरीज उपचार के लिए भर्ती होना शुरू हो गए हैं।
30 प्रतिशत बिस्तर आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए आरक्षित
नोडल अधिकारी डॉ. संजय छत्तानी ने बताया कि वर्तमान स्थिति में कई निजी अस्पतालों में कोरोना के लिए आरक्षित बेड खाली हैं। निजी अस्पतालों में 30 प्रतिशत बिस्तर आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों के लिए रखे जाने का नियम है। जिसके चलते कोविड बेड आरक्षित रहना जरूरी है, हालाँकि कोविड मरीज न होने पर अस्पताल सामन्य मरीज भर्ती कर सकेंगे।
प्रमुख शासकीय अस्पतालों की स्थिति

अस्पताल                         कुल क्षमता     भरे

जिला अस्पताल                 240         164
मेडिकल कॉलेज                 825         454

मनमोहन नगर सा. स्वा. केंद्र     68         18
सरकारी आयुर्वेद हॉस्पिटल     30         0
 
सिर्फ महाकौशल नहीं, विंध्य और बुंदेलखंड के मरीज
जबलपुर न सिर्फ जिले के लिए बल्कि संभाग के सभी जिलों के मरीजों के लिए उपचार का प्रमुख केंद्र है। जानकार बताते हैं कि महाकौशल समेत, विंध्य, बुंदेलखंड के 18 जिलों से मरीज लगातार शहर इलाज के लिए पहुँचते हैं। कोरोना काल में भी शहर के अस्पतालों में बड़ी संख्या में इन क्षेत्रों से मरीज पहुँचे। मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में लगभग 150 मरीज बाहर से आकर इलाज ले रहे हैं। निजी अस्पतालों में यह आँकड़ा कुल भर्ती मरीजों का 20 से 30 फीसदी तक है। कई बार मरीज को गंभीर स्थिति में लाया जाता है। पी-4
कोविड केयर सेंटरों की स्थिति
- देवजी नेत्रालय में मात्र 7 मरीज हैं, जबकि क्षमता 200 है।
- ज्ञानोदय अस्पताल में 27 मरीज भर्ती हैं, 150 क्षमता है।
- 500 बिस्तरों वाले रानी दुर्गावती कोविड केयर सेंटर में मात्र 5 मरीज ही हैं।
जरूरतमंद तक पहुँचे संसाधनों का लाभ
अस्पतालों में खाली बिस्तरों एवं अन्य संसाधनों का लाभ जरूरतमंदों तक पहुँचना चाहिए। जानकारों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना मरीजों की ट्रेसिंग में गति लाने के साथ समुचित उपचार के लिए उन्हें शहर लाने की व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए। वहीं सटीक परिणामों के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट की जगह, आरटीपीसीआर जाँच करानी चाहिए।
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मई के पहले सप्ताह से लेकर अब तक की स्थिति
5 मई
- 7 शासकीय और 59 निजी अस्पतालों में 4006 बिस्तरों में से 3442 बिस्तर भरे थे और 564 खाली थे।
- ऑक्सीजन बेड 1998 थे, जिनमें से 1819 भरे और 179 खाली थे।
- आईसीयू के कुल 1467 बिस्तरों में से 1433 भरे थे, वहीं 34 खाली थे।
15 मई
- 8 शासकीय और 56 निजी अस्पतालों में 4016 बिस्तरों में से 2410 बिस्तर भरे थे और 1606 खाली थे।
- ऑक्सीजन बेड 2017 थे, जिनमें से 1099 भरे और 918 खाली थे।
- आईसीयू के कुल 1405 बिस्तरों में से 1210 भरे, वहीं 195 खाली थे।
23 मई
- 7 शासकीय और 55 निजी अस्पतालों के 3632 बिस्तरों में से 1272 ही भरे थे और 2360 खाली थे।
- ऑक्सीजन बेड 1767 हैं, जिनमें से 429 भरे थे, वहीं 1338 खाली थे।
- आईसीयू के कुल 1335 बिस्तरों में से 805 भरे, वहीं 530 खाली थे।

 

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